उज्जैन : कहने को तो उज्जैन में आयोजित होने वाले सिंहस्थ महापर्व के मद्देनजर नगर विकास के साथ ही महाकाल मंदिर और अन्य कई प्रमुख मंदिरों का विकास कार्य किया जा रहा है लेकिन हरसिद्धि मंदिर ऐसा है जहां के लिए न तो विकास की मद ही रखी गई है और न ही पुराने स्वीकृत कार्यों को ही अभी तक अंजाम दिया जा सका है। सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी हरसिद्धि मंदिर सिंहस्थ के नाम पर उपेक्षा का शिकार बना हुआ है। प्राप्त जानकारी के अनुसार मंदिर प्रबंध समिति की ओर से मंदिर सिंहस्थ के मद्देनजर धर्मशाला स्थित मार्ग का द्वार चौड़ीकर के लिए प्रशासनिक अधिकारियों को प्रस्ताव दिया गया था लेकिन इसके लिए न तो ठोस कदम ही उठाए जा सके और न ही समिति सदस्यों के निवेदन पर ध्यान दिया जा रहा है। द्वार चौड़ीकर तो ठीक, छोटे मोटे कार्य तक सिंहस्थ के मद्देनजर यहां कराना उचित नहीं समझा गया। रही बात उन कार्यों की जो पहले स्वीकृत हो चुके है लेकिन इनमें से एक भी कार्य नहीं हो सका है। बताया गया है कि यहां धर्मशाला के समीप वाले स्थान पर सुविधाघर प्रस्तावित था और इसके लिए स्वयं कलेक्टर ने भी स्वीकृति दे रखी है।
जिस स्थान पर सुविधाघर का निर्माण होना है वह स्थान फिलहाल स्टोर रूम के काम आ रहा है लेकिन प्रस्तावित सुविधाघर निर्माण के लिए अभी तक स्टोर रूम को खाली नहीं किया जा सका। सुविधाघर बनाने का जिम्मा पीडब्ल्यूडी के पास है। इसके साथ ही सम्राट विक्रमादित्य की आराध्य देवी हरसिद्धि मंदिर की सुरक्षा बगैर संसाधन हो रही है। कहने के लिए तो यहां सुरक्षा करने वाले कर्मचारियों की नियुक्ति है लेकिन इन बेचारों को न तो सुरक्षा संसाधन ही मुहैया कराए जा रहे है और न ही इस मामले में अधिकारी ही सुनवाई करने के लिए तैयार है। जिस तरह से बाबा महाकाल के दरबार में भक्तों का तांता लगा रहता है उसी तरह विक्रमादित्य की आराध्य देवी हरसिद्धि मंदिर में भी श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते है। परंतु यह मंदिर प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का शिकार बना हुआ प्रतीत होता है। बताया गया है कि पिछले लंबे समय से सुरक्षा के लिए एक चार के गार्ड की मांग की जा रही है परंतु अधिकारियों के कानों पर जूं तक नहीं रेगी। इस मामले में न केवल मंदिर प्रबंध समिति से जुड़े सदस्य अधिकारियों को अवगत करा चुके है वहीं प्रबंधक की ओर से भी अधिकारियों को पत्र लिखा गया है लेकिन सुनवाई नहीं हो सकी।