उत्तर प्रदेश : उत्तर प्रदेश सरकार ने जल समस्या से निपटने के लिए एक अच्छी योजना बनायी है. उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण विभाग, सिंचाई एवं जल संसाधन मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने राजधानी में ‘हिंडन-यमुना-गंगा नदी पंचायत’ में भाग लेते हुए घोषणा की कि राज्य में सभी जलाशयों का ‘सीमांकन किया जाएगा.’ यादव ने यह भी जानकरी दी कि वे शहरी क्षेत्रों के अपशिष्ट पानी के शोधन पर चिंतन कर रहे हैं ताकि उसका सिंचाई और औद्योगिक उद्देश्य के लिए प्रयोग किया जा सके. इस बात की घोषणा यादव ने जल विशेषज्ञ राजेंद्र सिंह के नेतृत्व वाले जल जन जोड़ो अभियान द्वारा आयोजित कार्यक्रम में की थी.
यादव ने कहा ‘उत्तर प्रदेश में सभी जलाशयों की निश्चित सीमा तय की जावेगी. हम शहरी क्षेत्रों के अपशिष्ट पानी को एकत्रित करेंगे और शोधन करके उसका सिंचाई और उद्योगों के लिए प्रयोग करेंगे. इसका लाभ नहर के जल स्तर को बढ़ाने के रूप में मिलेगा’ यादव ने इससे पूर्व बैठक में सिंह के प्रश्नो के उत्तर में कहा ‘हम कार्य प्रारम्भ करेंगे. मैं कड़े आदेश दुगा. हम जलाशयों पर अतिक्रमण नहीं करने देंगे और उनकी स्वच्छता के प्रयत्न्न करेंगे.’ मैगससे पुरस्कार विजेता सिंह ने उत्तर प्रदेश सरकार से मांग की थी, अपनी मांग में उन्होंने अतिक्रमण पर नियंत्रण नदी क्षेत्र और जलाशयों की पहचान व इन्हें चिन्हित करके इसे अधिसूचित करने की डिमांड की थी. उन्होंने स्थानीय एजेंसियों जलाशयों में गन्दा पानी डालने पर पाबंदी लगाने को कहा है.
सिंह ने मंत्री महोदय से कहा यदि आपने वर्तमान में जलाशयों में अतिक्रमण पर नियंत्रण नहीं कर पाये तो आगामी पीढ़ियां आपको इसका कारण मानेगी. हमारी भावी पीढ़ी हेतु इस दिशा में प्रयास किये जाएं.’ केन्द्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय में सचिव शशि शेखर ने कहा कि गंगा की सफाई में सरकार, जल विशेषज्ञों और जनता सहित सभी पक्ष महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करेंगे. उन्होंने बताया की अगर सरकार स्वयं यह जिम्मेदारी उठाती है तो गंगा की सफाई में चार से पांच लाख करोड़ रुपए का व्यय होगा. यह धन कहां से आएगा? इसलिए सरकार, आप, जनता सहित हम सभी को अपनी भूमिका का निर्वहन करना होगा.