नई दिल्ली: भाजपा सरकार ने NRC को लेकर बड़ा राज खोलते हुए इससे लंबित मामलों और डिटेंशन सेंटरों में बंद लोगों के संबंध में बताया है। असम NRC से जूझ रहा है, जहां NRC किए जाने के बाद लाखों नागरिक अधर में लटक गए। अपनी नागरिकता सिद्ध नहीं कर पाने को लेकर इन लोगो को अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा है।
मोदी सरकार ने लोकसभा में बताया है कि, असम में विदेश अधिकरण (फॉरन ट्राइब्यूनल) को 12 हजार से अधिक मामले ट्रांसफर किए गए हैं। अदालत को यह निश्चित करना है कि ये 'संदिग्ध' अवैध नागरिक हैं या नहीं। उन्होंने यह भी कबूल किया है कि तक़रीबन 1,400 लोगों को पिछले तीन वर्षों में डिटेंशन सेंटरों में भी रखा गया है। लोकसभा की कार्यवाही में गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि, 'फिलहाल 1,381 लोग ऐसे हैं, जिन्हें असम के डिटेंशन कैंप में रखा गया है।'
एक सवाल के जवाब में नित्यानंद राय ने बताया है कि असम सरकार के मुताबिक, 2017 में 9,457 मामले, 2018 में 2051 मामले और 2019 में (नवंबर तक) 599 मामले विदेश अधिकरण को ट्रांसफर किए जा चुके थे। भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री नित्यानंद राय ने कहा है कि असम में डिटेंशन सेंटर में रखे गए लोगों के बारे में असम सरकार ने जानकारी दी है। इस जानकारी के मुताबिक, बीते तीन वर्षों में विदेश अधिकरण द्वारा विदेशी बताए जाने के बाद गोलपाड़ा में 209, कोकराझार में 105, सिलचर में 79, तेजपुर में 661, जोरहाट में 286 और डिब्रूगढ़ में 41 लोगों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों में कुल 761 लोगों को डिटेंशन सेंटरों से रिहा भी किया जा चुका है।
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