Birthday Special : शानदार अभिनय से मिला माँ के चरित्र को नया आयाम
Birthday Special : शानदार अभिनय से मिला माँ के चरित्र को नया आयाम
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हिन्दी फिल्मों में माॅं के किरदार को निभाने वाली यूँ तो कई अभिनेत्रियां होंगी, लेकिन निरूपा राॅय ने जिस तरह से माॅं के किरदार को जीया, वह न केवल बेमिसाल था बल्कि उन्होंने अपने अभिनय से माॅं के चरित्र को बुलंदियों पर भी पहुंचाया. आज 4 जनवरी को निरूपा राॅय का जन्मदिन है. निरुपा रॉय का जन्म एक मध्यमवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ था. निरुपा के पिता रेलवे में काम करते थे. निरुपा ने अपनी शिक्षा चौथी कक्षा तक पूरी की है. उसके बाद उनका विवाह राशनिंग विभाग के कर्मचारी कमल रॉय से हो गया. शादी के बाद निरुपा मुंबई आ गई.

उस समय निर्देशक बी.एम.व्यास अपनी फिल्म के लिए नया चेहरा ढूंढ रहे थे. निरुपा के पति को भी फिल्मो में आने का बहुत शौक था वे भी हीरो बनना चाहते थे. बी.एम.व्यास ने अपनी फिल्म के लिए पेपर में एड भी दिया था जिसको देखकर कमल अपनी पत्नी के साथ व्यास से मिलने गए पर व्यास ने उन्हें मना कर दिया उन्होंने कहा कि वे हीरो बनने के लायक नही है. व्यास ने ये भी कहा कि अगर वे चाहे तो उनकी पत्नी को यहाँ हीरोइन के लिए रख कर जा सकते है. निरुपा ने ‘रनकदेवी’ फिल्म के लिए 150 रुपए माह पर काम करने के लिए हाँ बोल दिया.

निरूपा राॅय ने माॅं के चरित्र को नये आयाम दिये. उन्हें बेहतर अभिनय के कारण तीन बार सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेत्री का फिल्म फेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका था. उनका मूल नाम कोकिला बेन था. वैसे तो उन्होंने अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत 1946 के दौरान प्रदर्शित गुजराती फिल्म गणसुंदरी से की थी लेकिन हिन्दी फिल्मों में जब उन्होंने कदम रखा तो फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. उनकी पहली हिन्दी फिल्म 1949 में प्रदर्शित होने वाली हमारी मंजिल थी.

निरूपा राॅय ने बीएम व्यास जैसे निर्माता निर्देशक की फिल्म रनकदेवी में 150 रूपये प्रति माह पर कार्य भी किया था, हालांकि बाद में उन्हें फिल्म से हटा दिया गया था. निरूपा राॅय को जितनी भी फिल्मों में कार्य मिला, माॅं के किरदार के रूप में ही मिला, लेकिन उन्होंने इसे चुनौती के रूप स्वीकार किया और यही उनकी सफलता का कारण बना.

दो बीघा जमीन, मुनीम जी, छाया, दीवार, खून पसीना, मुकद्दर का सिंकदर, अमर अकबर एंथोनी, ‘सुहाग’, ‘इंकलाब’, ‘गिरफ्तार’, ‘मर्द’ और ‘गंगा-जमुना-सरस्वती’ जैसी फिल्मो में काम कर चुकी है. निरुपा रॉय आखरी बार अमिताभ बच्चन की माँ के किरदार में 'लाल बादशाह' फिल्म में नजर आई थी. निरुपा रॉय का 13 अक्टूबर 2004 को निधन हो गया.

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