भारत की मोदी सरकार ने कोरोना वायरस के संक्रमण तथा इसकी रोकथाम के लिये लगाये गये लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे असर को कम करने के लिये बृहस्पतिवार को बहुप्रतीक्षित आर्थिक राहत पैकेज की घोषणा की.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वित्त मंत्री ने लॉकडाउन से प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित गरीब और दिहाड़ी मजदूरों के साथ-साथ गांवों में रहने वालों के लिए 1.7 लाख करोड़ के राहत पैकेज की घोषणा की.कोरोना वायरस से जंग के लिए मेडिकल टेस्ट, स्क्रीनिंग और अन्य जरूरतों के लिए डिस्ट्रिक्ट मिनरल फंड का उपयोग करने की आजादी राज्य सरकारों को दी जाएगी. कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए भी इस फंड का उपयोग किया जाएगा. वही, 50 लाख का बीमा कवर उन लोगों को मिलेगा जो कोरोना वायरस के इलाज में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अपनी भूमिका निभा रहे हैं. इनमें डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी आदि शामिल हैं.
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इसके अलावा 100 से कम कर्मचारी वाली कंपनी जिसमें 90 फीसद कर्मचारियों का वेतन 15,000 रुपये से कम है, उसके कर्मचारियों के ईपीएफओ खाते में सरकार अगले तीन महीने तक कर्मचारी और कंपनी की तरफ से पैसे डालेगी. सरकार दोनों की तरफ से 12-12 फीसद का योगदान करेगी. इससे 80 लाख से ज्यादा मजदूरों को लाभ लेगा.संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए ईपीएफओ के रेगुलेशन में बदलाव किया जाएगा. अब कर्मचारी अपने प्रोविडेंट फंड खाते से 75 फीसद राशि या तीन महीने की सैलरी, जो भी राशि कम हो, की निकासी कर सकते हैं. ये पैसे उन्हें वापस नहीं करने होंगे.
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