क्या पीरियड्स में कर सकते हैं निर्जला एकादशी व्रत?
क्या पीरियड्स में कर सकते हैं निर्जला एकादशी व्रत?
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वैसे तो समाज में महिलाओं के पीरियड्स को लेकर अलग अलग व्यक्तियों के अलग अलग विचार हैं किन्तु आमतौर पर धारणा यही नजर आती है कि पीरियड्स के चलते महिलाएं अशुद्ध होती हैं तथा उन्हें पूजा पाठ या व्रत नहीं करना चाहिए। किन्तु यदि आप धार्मिक शास्त्रों का ठीक से अध्ययन करें तो ऐसा बिलकुल नहीं है। मासिक धर्म को लेकर कई प्रकार की सलाह अवश्य दी गई हैं कि इस के चलते क्या करें और क्या ना करें किन्तु ऐसा बिलकुल नहीं है कि पीरियड्स के चलते व्रत नहीं रख सकते हैं।

एकादशियों में सर्वोत्तम एकादशी माना जाता है निर्जला एकादशी को। ऐसा बोलते हैं कि यदि पूरे वर्ष कोई एकादशी ना की हो तो केवल इस एक एकादशी को करने से सभी एकादशियों के फल मिल जाते हैं। ऐसे में यदि निर्जला एकादशी के चलते पीरियड्स आ जाये तो क्या करें? व्रत करें या ना करें? ये बहुत बड़ी दुविधा है जिसका समाधान हम आपको यहां दे रहे हैं। निर्जला एकादशी का व्रत अवश्य करें, किन्तु इसके करने के लिए कुछ सावधानियां बरतनी पड़ेगी। रामायण काल के महान ऋषि श्रृंगी ने भी पीरियड्स के चलते निर्जला एकादशी करने की इजाजत देते हुए कहा है:

एकादस्यम न भुंजिया, नारी दृष्टे राजस्यपि
अर्थात- यदि किसी महिला का मासिक धर्म चल रहा हो तो भी उसे एकादशी के दिन भोजन नहीं करना चाहिए।

ऋषि आगे कहते हैं
सनेर वरे रावे संक्रांत्यं ग्रहणे॥ च
त्याज्य न एकादशी राजन सर्व दैवेती निश्चयः
(हरि भक्ति विलास 12/63, देवल ऋषि)
अर्थात- एकादशी का व्रत भले ही शनिवार, रविवार, ग्रहण के दिन या संक्रांति के दिन क्यों न हो, कभी नहीं छोड़ना चाहिए। मतलब जैसी भी स्थिति हो एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। किन्तु, पीरियड्स के चलते निर्जला एकादशी जिसमें जल तक ग्रहण नहीं करते, कैसे किया जाये? 

इन चीजों का रखें ध्यान:-
* पीरियड्स के चलते व्रत कर रहे हों तो सबसे पहले स्वच्छता और पवित्रता का ख्याल अवश्य रखें।
* पूजा की सामग्री को अपने हाथों से स्पर्श ना करके किसी और से देवता पर अर्पित करवा दें।
* भगवान का विग्रह यानी प्रतिमा का स्पर्श ना करें ना ही उनकी पूजा करें।
* व्रत के चलते कोई भी ऐसा कार्य जो भगवान की प्रतिमा या पूजा से प्रत्यक्ष जुड़ी हों वो नहीं करनी चाहिए जैसे कि भगवान के लिए भोग बनाना, पूजा की थाली सजाना, फूलमाला बनाना, पूजा के बर्तनों को छूना या धोना, आरती का सामान लाकर देना आदि।
* व्रत का संकल्प लेने से पहले ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर लें। अपने बाल जरूर धोएं। स्वच्छ पवित्र वस्त्र धारण करें। यदि सुविधा हो तो भगवान की मंगलारती के दर्शन कर लें तथा उसके बाद व्रत का संकल्प लें।
* दूर से भगवान को पंचांग प्रणाम कर सकते हैं तथा मन में मंत्र का जाप कर सकते हैं।

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