निपाह वायरस के बारे अफवाहों पर ना जाये, जानकारी और भी
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रहस्यमयी निपाह वायरस ने केरल में दहशत मचा रखी है और इसके फैलने की वजह चमगादड़ें मानी जा रही हैं. हालांकि  वायरस फैलने की मुख्य वजह को लेकर डॉक्टर्स अब भी जांच कर रहे हैं . इसी काम में जुटे एक डॉक्टर ने कहा कि वायरस के दुबारा जीवित होने की संभावनाओं की जांच भी होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि दो दशक पहले यह वायरस सामने आया था. कोझिकोड के पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. अजीत भास्कर ने बताया कि केरल में प्रभावित जगहों की जांच कर रही वेटरनेरी टीम ने बताया था कि कुएं में मिले चमगादड़, फ्रूट बैट नहीं थे, जिनकी वजह से निपाह वायरस फैलने की बात कही जा रही है. केरल सरकार के मुताबिक, स्वास्थ्य अधिकारियों को एक कुएं के पास कई चमगादड़ मृत मिले थे. आशंका जताई गई है कि पीड़ितों ने इस कुएं का पानी पिया, जिससे उनमें वायरस का संक्रमण हुआ.

इस वायरस की वजह से पिछले चार दिनों में 12 लोगों की मौत हो गई है और केरल में 13 मामले सामने आए हैं. अजीत भास्कर ने इस बात का खंडन किया कि चमगादड़ों के मल से वायरस फैला है. उन्होंने कहा, "कुछ किताबों में जिक्र है कि इंसान में यह वायरस 11 साल तक सुप्त अवस्था में रह सकता है. 2001 में सिलीगुड़ी में इसका पहला मामला सामने आया था, जिससे इस थ्योरी को बल मिलता है कि किसी पुराने संक्रमित व्यक्ति से ही यह दुबारा फैला होगा."

भास्कर के मुताबिक, पहले से प्रभावित कुछ इलाकों में यह वायरस सुप्त अवस्था में रहा होगा, जो दुबारा एक्टिव हो गया है. भास्कर ने बताया कि यह वायरस दो लोगों के संपर्क में आने से फैल रहा है न कि हवा के जरिए. उन्होंने दावा किया, "इसे रोकने का तरीका है कि संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में कम से कम लोग आएं. लोग अपने घरों में रहें और ज़रूरत पड़ने पर ही हॉस्पिटल जाएं. हॉस्पिटल ही वो जगह हैं, जहां दूसरे लोग इससे संक्रमित हो रहे हैं."

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