नई दिल्ली : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान ने पहली ही बार में मंगल ग्रह तक पहुंच कर दुनिया भर के कान खड़े कर दिए। अब इसरो एक नया कारनामा करने की तैयारी में है। इसरो का दावा है कि चंद्रयान-2 मिशन दुनिया के अब तक के सभी अभियानों से अलग होगा। इस मिशन के तहत चांद के ध्रुवीय क्षेत्र को खंगाला जाएगा। यहां से चंद्रमा पर पानी और हीलियम गैस की मौजूदगी के संबंध में नए तथ्य सामने आएंगे।
पिछले 45 सालों में जितने भी मिशन चांद पर गए हैं, उनमें से ध्रुवीय क्षेत्र में अधिक ऊंचाई पर किसी भी देश का अभियान नहीं पहुंच पाया है। इसरो के सीनियर साइंटिस्ट और चंद्रयान-2 के हेड डॉ एम अन्नादुरई ने बताया कि यह सभी अभियानों से अलग है, हम चंद्रमा के ध्रुव पर करीब 70 डिग्री अक्षांश में रोवर को उतारेंगे। इस अक्षांश पर पहले कोई भी देश नही पहुंच पाया है।
यह ध्रुव उत्तरी होगा या दक्षिणी यह चंद्रयान-2 को लांच करने की तिथि की घोषणा के बाद तय हो पाएगा क्योंकि चंद्रमा के घूमने के चलते यह स्थान बदलता रहता है। चंद्रयान-2 का ज्यादातर काम पूरा हो चुका है। इसरो ने अपने लैब में चांद जैसी सतह विकसित की है, जहां इसका परीक्षण किया जा रहा है।
रोवर कैमरे और भूमि के रासायनिक विश्लेषण करने वाले उपकरणों से लैस है। 2017 में इसे लांच किया जाएगा। इस योजना में हो रही देरी का कारण रुस द्वारा लैंडर देने से इंकार करना है। रुस द्वारा इस इंकार के बाद इसरो ने स्वदेशी लैंडर विकसित किया है।