मोदी सरकार रेलवे में एक महत्वपूर्ण कार्यबिन्दु पर विचार पर कर रही है. खबर के अनुसार दिल्ली व मुंबई के बीच अक्टूबर में स्पेन की लोकोमोटिव मेकर ताल्गो ट्रेन दौड़ सकती है. इन ट्रेनों की खासियत यह है की यह बहुत ही तेज रफ़्तार से दौड़ती है. मोदी सरकार ने इसके ट्रायल के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी है। कहा जा रहा है की इन ट्रेनों से पुरानी रेल पटरियों को बदले बिना यात्रा का समय 40% तक कम किया जा सकता है। ताल्गो ट्रेन कंपनी के प्रमुख जोस ओरियोल ने बताया की गुरुवार को मोदी जी से मुलाकात के बाद हम अक्टूबर या नवंबर की शुरुआत तक अपनी ट्रायल ट्रेन भारत लाने की उम्मीद कर रहे है. उन्होंने कहा कि यह ट्रेन कंपनी अपने खर्च और जोखिम पर भारत लाएगी तथा हम बताना चाहते है की इस ट्रेन से मुंबई और दिल्ली के बीच यात्रा का समय मौजूदा 17 घंटों से घटकर 12 घंटों पर आ सकता है। ट्रेन प्रमुख ने कहा की इस ट्रेन की स्पीड 160 से 220 किलोमीटर के बीच होगी। हमे उम्मीद है की इसके लिए हमे औपचारिक मंजूरी मिल जाएगी। हम ट्रायल के लिए अपनी कॉस्ट पर ट्रेन और टेक्निशियंस को भारत लाएंगे तथा इसके लिए हमे कुछ जरूरी दस्तावेजी मंजूरी चाहिए व इसके लिए हमे पूरा विश्वास है की इस कार्यवाही में ज्यादा समय नही लगेगा।
भारत भी इस नई टेक्नोलॉजी को लेकर उत्साही है. भारतीय सरकारी अधिकारी स्पेन में जाकर इन ट्रेनों की रफ़्तारो को देख चुके है. ओरियोल ने आगे कहा की हम भारत में ट्रैक के इंफ्रास्ट्रक्चर को बदले बिना ही ट्रेन की स्पीड बढ़ा सकते हैं। इसके लिए भारत में 60,000 किलोमीटर लंबे रेलवे ट्रैक में से कुछ को अपग्रेड किया जाएगा. इसके अंतर्गत ट्रैक का ज्यादातर हिस्सा पुराना ही रहेगा. यह ट्रेने सफलतापूर्वक कई दूसरे शहरों के पुराने रेलवे ट्रैक पर चल रही है. जिसमे प्रमुख शहर है. मक्का से मदीना की लाइन के साथ ही मध्य एशिया और रूस के कई रूट शामिल हैं। जो इसे सफलतापूर्वक संचालित कर रहे है. खबर के अनुसार जोस ओरियोल ने बताया की भारत के साथ हमारी 125 अरब डॉलर के इनवेस्टमेंट की महत्वाकांक्षी योजना के मद्देनजर हम भारत में एक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना चाहते है. इस तरह से इस ट्रेन के भारत में आने से बड़े बड़े शहरों की दूरियां निश्चित ही रूप से काफी काम हो जाएगी जो की भारत सरकार की एक अच्छी पहल है।