अपने धन पर कभी भी अहंकार न करें
अपने धन पर कभी भी अहंकार न करें
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हर इंसान की चाह होती है की उसके पास बहुत सारा धन हो ताकि वह आराम से अपना जीवन यापन कर लें लेकिन विधि-विधान के अनुसार व्यक्ति के पास उतना ही धन रहता है जितना की उसके लिए उचित हो अगर अचानक से किसी भी व्यक्ति के पास ज्यादा धन आ जाए तो उसके चाल-चलन में बदलाव आना शुरू हो जाता है आज हम इससे ही सम्बधित एक कहानी बताने जा रहे हैं जिसे पढ़कर सारी बातें समझ में आ जाएगी। एक समय की बात है ,किसी गांव में एक लकड़हारा रहता था। वह नित्य ही जंगल में जाकर लकड़ियाँ लाता व बाजार में बेच देता। जिससे उसका परिवार चलता था। एक समय उस लकड़हारे को जंगल में एक हीरे से भरी मटकी मिली जिसे पा कर लकड़हारा बहुत खुश हुआ। वह बिना लकड़ी काटे ही अपने घर को चला गया। मटकी के सभी हीरे बेच कर वह गांव का सबसे धनि व्यक्ति बन गया। अब उसके पास किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी। पैसे आने से वह बड़ा आलसी और निकम्मा हो गया। वह अपना सारा काम नौकर से करवाता था। और वह दिनभर आलसियों की तरह रहता था। उसे ऐसा लगने लगा जैसे दुनिया में वो सबसे धनि व्यक्ति है, उसके जैसा दूसरा कोई नहीं।

लेकिन कहते है बुरे कामो का बुरा नतीजा, बस यही उस लकड़हारे के साथ हुआ कुछ समय के बाद लकड़हारे को ऐसा लगने लगा जैसे उसका शरीर उसका साथ नहीं दे रहा है। और कुछ समय के बाद वह सही से चल भी नहीं पा रहा था । लकड़हारे ने बड़े बड़े डॉक्टरों को दिखाया फिर भी फायदा नहीं हुआ। फिर एक दिन गांव में एक साधु आया जो सबकी परेशानियों को दूर करता था। तब लकड़हारे ने अपने नौकर को साधु को बुलाने भेजा, लेकिन साधु ने आने से मना कर दिया । साधु ने नौकर से कहा की यदि उन्हें ठीक होना है तो वो स्वयं मेरे पास आये। बेचारा लकड़हारा उसे ही साधु के पास आना पड़ा।

लेकिन जब लकड़हारा साधु से मिलने आया तब साधु वहां से चला जाता है लकड़हारा घर वापस आ जाता है। यह रोज का नियम बन गया था साधु लकड़हारे को बुलाते और खुद गायब हो जाते। यह सब दो महीने तक चलता रहा। लकड़हारे को लगा जैसे वह ठीक होने लगा है व इस तरह लकड़हारा पूर्णतः स्वस्थ हो जाता है। लकड़हारे को सारी बात समझ आ गई। तब साधु ने लकड़हारे को बताया की बेटा जीवन में जितना भी धन कमालो, पर कभी अहंकार मत करो। मनुष्य के लिए सबसे बड़ा धन उसका शरीर है। व्यक्ति के स्वस्थ शरीर ही सबसे बड़ा धन होता है।

 

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