बान नेपाल-भारत सीमा पर नाकेबंदी को लेकर चिंतित
बान नेपाल-भारत सीमा पर नाकेबंदी को लेकर चिंतित
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संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने नेपाल-भारत सीमा पर आवश्यक आपूर्तियां रोके जाने और अप्रैल में आए विनाशकारी भूकंप के बाद मानवीय अभियानों पर पड़े विपरीत असर को लेकर एक बार फिर चिंता जाहिर की है। जानकारी के अनुसार बान के प्रवक्ता ने एक बयान में शुक्रवार को कहा, बान अपहरण, और जीवनरक्षक चिकित्सा आपूर्तियों को नष्ट किए जाने और मानवीय अभियानों पर लगातार पड़ रहे असर की रपटों से चिंतित हैं। बयान में कहा गया है कि उन्होंने सभी पक्षों से अविलंब नाकेबंदी हटाने का आह्वान किया है और नेपाल के मुक्त पारगमन के अधिकार को रेखांकित किया है।

बान ने सभी पक्षों से शातिपूर्ण और सहज तरीके से अपने मतभेद समाप्त करने का आग्रह किया है। उन्होंने, संवाद और अहिंसा के महत्व और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन और लोगों के जमा होने की आजादी का सम्मान करने पर जोर दिया है। बयान में कहा गया है कि बान ने एक लोकतांत्रिक, समग्र, शांतिपूर्ण और समृद्ध देश के निर्माण में नेपाल के प्रयासों को संयुक्त राष्ट्र का समर्थन दोहराया है। संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनीसेफ) ने भी भारत के साथ लगी नेपाली सीमा चौकियों पर नाकेबंदी के प्रति चेताया है।

नेपाल में यह संकट नए संविधान को लेकर पैदा हुआ है। संविधान पर 20 सितंबर को अंतिम रूप से हस्ताक्षर हुआ था। जातीय मधेसी राजनीति दलों के सदस्यों का कहना है कि नया संविधान उन्हें संसद और सार्वजनिक पदों में निष्पक्ष प्रतिनिधित्व की गारंटी देने में विफल रहा है। सितंबर से शुरू विरोध प्रदर्शनों के कारण भारत के साथ लगी सीमा चौकियां बंद हैं, जिसके कारण नेपाल में पेट्रोल, रसोई गैस और अन्य आवश्यक आपूर्तियों का घोर संकट पैदा हो गया है।

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