तब भूकंप की त्रासदी में दब गए थे, अब खुशहाल जीवन बिता रहे है
तब भूकंप की त्रासदी में दब गए थे, अब खुशहाल जीवन बिता रहे है
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काठमांडू: कहते है जाको राखे साइंया, मार सके न कोय। इन लोकोक्तियों पर बार-बार विश्वास करने को जी चाहता है, जब भगवान अपनी लीला दिखाता है। नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप को एक साल बीत चुके है। इस दौरान मौत को चकमा देकर निकलने वाली दो कहानियां हर किसी की जुबां पर है।

25 अप्रैल 2015 को नेपाल में भूकंप आया था, जिसमें 9000 लोगों की मौत हो गई थी। इस दौरान माया गुरुंग भी मलबे में दब गई थी। जब राहत कर्मियों ने उसे मलबे से निकाला, तो उसका पैर बुरी तरह जख्मी हो गया था। इस कारण डॉक्टरों को उसे काटना पड़ा।

उसके दो दिन बाद फिर से भूकंप आया, इसमें भी माया मात्र एक सेकेंड के अंतर से बच गई। इस साल माया अपना 11वां जन्मदिन मना रही है। वो काठमांडू में रहती है और स्कूल की पढ़ाई कर रही है। ऐसी ही एक और दास्तां है सोनित की, जो घटना के वक्त महज पांच माह का था।

उसे राहत कर्मियों ने भूकंप के 22 घंटे बाद मलबे से निकाला। उस तस्वीर को पूरी दुनिया ने देखा। अब सोनित 17 माह का हो गया है। भूकंप ने उसके मकान को तहस-नहस कर दिया था। सोनित की मां इसे भगवान का चमत्कार मानती है।

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