360 लोगों की जान बचाने के लिए नीरजा ने उठाया था ऐसा कदम
360 लोगों की जान बचाने के लिए नीरजा ने उठाया था ऐसा कदम
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देश की सीमा की सुरक्षा करने के लिए आज भारतीय रक्षा मंत्रालय में कई महिला कर्मी है, जो भारतीय वायुसेना, जल सेना और थल सेना में काम करती है। ये महिला अधिकारी इंडिया की सुरक्षा के लिए प्रशिक्षण लेती हैं। खुद के जीवन को देश के लिए कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटती। इसी तरह देश के अंदरूनी विवादों और समस्याओं से भारतवासियों की रक्षा के लिए महिला पुलिस अधिकारी, डॉक्टर और नर्स जैसे कार्य करती है। लेकिन एक ऐसी महिला जो भारतीय रक्षा मंत्रालय में शामिल नहीं थी, न ही उन्होंने कोई ट्रेनिंग ली थी, पर जब देशवासियों की रक्षा का मौका आया तो आतंकवादियों के सामने डटकर एक खड़ी हुईं और खुद की जान दांव पर लगाकर 360 लोगों की जान बचा ली थी। ये नीरजा भनोट की शहादत की स्टोरी है। नीरजा भनोट पर मूवी भी बन चुकी है, जिसमें उनके किरदार को सोनम कपूर ने पर्दे पर रिलीज किया गया था। नीरजा भनोट की शहादत की कहानी हर किसी में देशभक्ति का संचार कर देगी। चलिए जानते हैं कौन है नीरजा भनोट, जिन्होंने आतंकियों से की देशवासियों की रक्षा। 

नीरजा भनोट का जीवन परिचय: नीरजा भनोट इतिहास के पन्नों में दर्ज वह नाम है, जिनके साहस की स्टोरी पूरे विश्व में मशहूर है। नीरजा भनोट अशोक चक्र से सम्मानित पहली महिला भी कही जाती है। उन्होंने आतंकियों से सैकड़ों लोगों की जिंदगी बचाई थी। नीरजा भनोट का जन्म एक पंजाबी परिवार में 7 सितंबर 1963 के दिन हुआ था। उनका बचपन चंडीगढ़ में बीता। चंडीगढ़ के सैक्रेड हार्ट सीनियर सेकंडरी स्कूल से शुरुआत पढ़ाई के उपरांत वह पूरे परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गईं। मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से नीरजा ने ग्रेजुएशन की डिग्री भी अपने नाम की थी।

 

प्लेन हाईजैक के दौरान नीरजा ने बचाई लोगों की जान: वर्ष 1986 में कराची में एक विमान उड़ान भरने के लिए पायलट की प्रतीक्षा में था, लेकिन अचानक 4 आतंकवादियों में पूरे विमान को हाईजैक करते हुए सभी यात्रियों को गन प्वाइंट पर अपने कब्जे में ले लिया। आतंकी बड़ा हमला करने के लिए विमान का अपहरण करने वाले थे और उन्होंने पायलट की मांग की थी। पर रात के अंधेरे में नीरजा ने अपनी सूझबूझ से विमान का दरवाजा खोल दिया और सभी यात्रियों को बचा लिया। हालांकि इस दौरान आतंकियों ने फायरिंग कर दी और नीरजा शहीद हो गईं थी।

विमान में 360 लोग सवार थे, जिन्हें नीरजा ने अपना जान की बाजी लगाकर बचाया था। इंडिया की पहली ऐसी महिला थीं, जिन्हें अशोक चक्र दिया गया। उनकी बहादुरी के लिए तमगा ए इंसानियत के खिताब से भी नवाजा गया था। उनके जीवन को फिल्मी पर्दे पर उतारा गया।

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