भारत की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के पक्ष-विपक्ष में प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा के मामले में बुधवार को सुनवाई की. कोर्ट ने दिल्ली हिंसा पर चिंता जताते हुए पुलिस सुधार के बारे मे सुप्रीम कोर्ट के प्रकाश सिंह फैसले का हवाला देते हुए कहा कि पुलिस को कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होना चाहिए. सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जब हम प्रकाशसिंह की बात करते हैं तो जमीनी हकीकत भूल जाते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कोई आदेश नहीं दिया है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस और प्रशासन को काम करने देना चाहिए. कोर्ट न कोई आदेश दे रहा है और न ही रोक रहा है.
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अपने बयान में इससे पहले सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस को हतोत्साहित करने की बात नहीं होनी चाहिए. ध्यान दिया जाए कि हमारा एक सिपाही मरा है और डीसीपी वैन्टीलेटर पर है. डीसीपी का हेल्मेट उतार कर उस पर हमला किया गया उससे बहुत क्रूरता हुई है. उसकी लिंन्चिग हुई है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला और अन्य ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर कर हिंसा भड़काने के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने के लिए पुलिस को निर्देश देने की अपील की है.जस्टिस एसके कौल और जस्टिस केएम जोसेफ की पीठ के सामने याचिका को आपात सुनवाई के लिए मेंशन किया गया था, जिस पर पीठ ने बुधवार को सुनवाई करने की बात कही. हबीबुल्ला के अलावा नई याचिका दायर करने वालों में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद और सामाजिक कार्यकर्ता बहादुर अब्बास नकवी का भी नाम है. याचिका में इन्होंने दिल्ली में भड़की हिंसा के लिए भाजपा नेता कपिल मिश्र को जिम्मेदार ठहराया है.
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