नई दिल्ली : देश में बढ़ती असहिष्णुता के खिलाफ अवॉर्ड लौटाने के बाद अब अवार्डस की घर वापसी भी हो रही है। इसकी शुरुआत जवाहर लाल नेहरु की भांजी नयनतारा सहगल ने किया था, इसके बाद अवॉर्ड लौटाने का एक सिलसिला सा चल पड़ा, जिसने देश का माहौल पूरी तरह बिगाड़ दिया। अब हाल ही में नयनतारा ने अपना लौटाया हुआ अवॉर्ड वापस कबूल लिया है। इसके बाद अब जाहिर है कि भेड़चाल में शामिल होने के लिए अन्य भी अपना अवॉर्ड वापस लेंगे।
राजस्थानी लेखक नंद भारद्वाज ने कहा कि इस पूरे मामले पर वो साहित्य अकादमी की प्रतिक्रिया से संतुष्ट है। इसलिए वो भी अपना अवॉर्ड वापस ले रहे है। इसके बाद से दो धाराओं में बह रही साहित्यकारों की टोली में और अधिक बवाल मच गया है। सहगल ने इस मामले में कहा कि अकादमी ने मुझे एक चिठ्ठी लिखी, जिसमें कहा गया है कि लौटाया हुआ अवॉर्ड वापस लेना हमारी नीति के खिलाफ है। इसलिए हम यह अवॉर्ड आपको वापस भेज रहे है।
सहगल ने साथ ही अपना एक लाख रुपए का चेक भी लौटा दिया था। कवि अशोक वाजपेयी अपने फैसले पर अटल है। उन्होने कहा कि मुझे भी अकादमी से चिठ्ठी मिली है, लेकिन मुझे नही लगता कि इससे प्रतिष्ठा वापस आ जाएगी। इसलिए मुझे नही लगता कि मेरे लिए लौटाए हुए अवॉर्ड को दोबारा लेने का कोई कारण शेष है।