आज से नवरात्र प्रारंभ, आप भी कीजिए इन शक्तिपीठों के दर्शन
आज से नवरात्र प्रारंभ, आप भी कीजिए इन शक्तिपीठों के दर्शन
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ब्यूरो। देश के 52 शक्तिपीठों में से तीन मध्य प्रदेश में हैं, उज्जैन की हरसिद्धि माता, मैहर की मां शारदा और अमरकंट में शोण शक्तिपीठ इनमें शामिल हैं। नवरात्र के दौरान यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु माता का आशीर्वाद पाने पहुंचते हैं। क्या आप जानते है मध्य प्रदेश के शक्तिपीठों से जुड़ी मान्यताओं के बारे में आईये हम आपको कुछ जानकारी देते है। 

देश के 52 शक्तिपीठों में से एक उज्जैन के हरसिद्धि माता मंदिर में नवरात्र के दौरान दीपमालिकाएं प्रज्ज्वलित की जाती हैं। यहां माता सती के हाथ की कोहनी गिरी थी। हरसिद्धि माता उज्जैन के राजा विक्रमादित्य की कुलदेवी हैं। कहा जाता है कि माता दिन में गुजरात और रात में उज्जैन में निवास करती हैं। यह भी कहते हैं कि जरासंध के वध से पहले भगवान श्रीकृष्ण ने इनका पूजन किया था, इसके बाद ही माता का नाम हरसिद्धि रखा गया। शारदीय नवरात्र में उज्जैन स्थित शक्तिपीठ हरसिद्धि माता मंदिर में सुबह सात बजे घटस्थापना हुई। नवरात्र के पहले दिन यहां माता का आशीर्वाद लेने बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन शाम को 7 बजे दीप मालिका प्रज्वलित की जाएगी। इसके बाद संध्या आरती होगी। शहर के अन्य देवी मंदिरों में भी उत्सव मनाया जाएगा। हरसिद्धि मंदिर के पुजारी राजेश गोस्वामी राजू गुरु ने बताया शक्तिपीठ में सुबह 7 बजे अमृत के शुभ चौघड़िए में घट स्थापना की गई। नौ दिन तक माता का नित नया शृंगार किया जाएगा। नवरात्र के नौ दिन मंदिर में दीप मालिका प्रज्वलित की जाती हैं।

मां शारदा देवी का भव्य मंदिर

मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत शृंखला के त्रिकूट पर्वत पर मां शारदा देवी का मंदिर है। यह देश के 52 शक्तिपीठों में से एक है, यहां माता सती का हार गिरा था, तभी से इसका नाम माई का हार से मैहर पड़ा। आल्हा मां शारदा के परम भक्त थे, उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें अमरता का वरदान दिया था। कहते हैं आज भी आल्हा यहां हर सुबह मां की पूजा करने आते हैं। मां शारदा की प्रतिमा के नीचे एक शिलालेख है, इसकी लिपि को आजतक पढ़ा नहीं जा सका है, यह अपने अंदर अनके रहस्य समेटे हुए है।

शोण शक्तिपीठ 

मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी के उद्गम स्थल अमरकंट में शोण शक्तिपीठ है। यहां माता को नर्मदा के रूप में पूजा जाता है और भगवान भैरव की भद्रसेन के रूप में पूजा होती है। शोधदेश स्थान पर होने की वजह से इसे शोणाक्षी शक्तिपीठ या शोण शक्तिपीठ कहते हैं। यहां देशभर से श्रद्धालु मां नर्मदा और शक्तिपीठ में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।

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