आज नवरात्रि का छठा दिन है। ऐसे में आज के दिन मां कात्यायनी का पूजन किया जाता है। तो हम आपको बताते हैं मां कात्यायनी का स्वरूप, उनकी पूजा विधि और कथा।
मां कात्यायनी का स्वरूप- पौराणिक मान्यताओं को माने तो माता कात्यायनी की पूजा अर्चना से भक्त को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां मिल जाती हैं। वहीं उनका भक्त अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है। कहते हैं मां कात्यायनी की उपासना से रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं।
मां कात्यायनी की कथा- कहते हैं महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनकी पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इस वजह से उन्हें कात्यायनी कहा गया है। जी दरअसल मां कात्यायनी को ब्रज की अधिष्ठात्री देवी माना गया है। कहते हैं गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए यमुना नदी के तट पर मां कात्यायनी की ही पूजा अर्चना की थी। जी दरअसल मां कात्यायनी ने ही अत्याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त भी कराया था।
मां कात्यायनी की पूजा विधि- आज स्नान कर लाल या पीले रंग के वस्त्र पहनें। इसके बाद सबसे पहले घर के पूजा स्थान नया मंदिर में देवी कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अब इसके बाद गंगाजल से छिड़काव कर शुद्धिकरण करें। इसके बाद मां की प्रतिमा के आगे दीपक रखें। अब हाथ में फूल लेकर मां को प्रणाम कर उनका ध्यान करें। अब इसके बाद उन्हें पीले फूल, कच्ची हल्दी की गांठ और शहद अर्पित करें और धूप-दीपक से मां की आरती उतारें।
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