आखिर क्यों नवरात्रि में नहीं खाया जाता प्याज-लहसुन
आखिर क्यों नवरात्रि में नहीं खाया जाता प्याज-लहसुन
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आप सभी जानते ही हैं कि इस साल 10 अक्टूबर से शारदीय नवरात्र आंरभ हो चुके हैं ऐसे में हर तरफ मां की जय-जयकार शुरू हो गई है और सभी माँ के रंगों में रंग गए हैं. ऐसे में सभी ओर माँ की पूजा हो रही है ओर माँ-माँ के जयकारें लग रहे हैं. ऐसे में आप सभी ने सुना होगा कि नवरात्रि में कुछ लोग प्याज और लहसुन का सेवन नहीं करते. जी हाँ, बहुत से लोग ऐसे हैं जो नवरात्रि में प्याज ओर लहसुन नहीं खाते हैं. अब क्या आपने सोचा है कि आख़िर क्यों होता है ऐसा..? सभी सब्जियों में प्याज और लहसुन को ही खाना मना हैं..? अब अगर आपको जवाब नहीं पता है तो हम बताते हैं.

दरअसल इनकी तासीर या गुणों के कारण नवरात्रि में इनका त्याग किया जाता है. कहते हैं लहसुन और प्याज दोनों ही गर्म तासीर के होते हैं और यह दोनों शरीर में गर्मी पैदा करते हैं इसलिए इन्हें तामसिक भोजन की श्रेणी में रखा जाता है और दोनों ही अपना असर गर्मी के रूप में दिखाते हैं, शरीर को गर्मी देते हैं जिससे व्यक्ति की काम वासना में बढ़ोत्तरी होते हैं. इस कारण से फिर लोगों का मन पूजा-पाठ में नहीं लग पाता. कहते हैं अध्यात्म के लिए मन को एकाग्र करना चाहिए और भक्ति के लिए वासना से दूर होना ज़रूरी होता है. इसी कारण प्याज और लहसुन से परहेज की जाती है.

इसी के साथ यह भी कहा जाता है लहसून प्याज ही नहीं वैष्णव और जैन समाज में ऐसी सभी चीजों से परहेज करते हैं जिससे शरीर या मन में किसी तरह की तामसिक प्रवृत्ति की बढोतरी हो. इसी के सतह प्राचीन मिस्त्र के पुरोहित प्याज और लहसुन को नहीं खाते थे वहीं चीन में रहने वाले बौद्ध धर्म के अनुयायी भी इन कंद सब्जियों को खाना पसंद नहीं करते और हिंदू धर्म के वेदों में उल्लेख है कि प्याज और लहसुन जैसी कंदमूल सब्जियां निचले दर्जे की भावनाओं जैसे जुनून, उत्तजेना और अज्ञानता को बढ़ाती है इस वजह से इनसे दूर रहना चाहिए.

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