नागरिकता विधेयक पर विपक्ष का जोरदार हंगामा, संविधान को नजरअंदाज करने का लगाया आरोप
नागरिकता विधेयक पर विपक्ष का जोरदार हंगामा, संविधान को नजरअंदाज करने का लगाया आरोप
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लोकसभा में विपक्ष के अधिकांश दलों ने नागरिकता संशोधन बिल (कैब) को संविधान के बुनियादी ढांचे और मूल भावना के खिलाफ बताते हुए इसका जमकर विरोध किया. कांग्रेस की अगुआई में विपक्षी दलों ने कहा कि अपने सियासी एजेंडे के लिए सरकार इस विधेयक के जरिये देश में धर्म के आधार पर विभाजन की नई खाई पैदा करने जा रही है. जबरदस्त सियासी गरमारमी के बीच विपक्ष ने सरकार को यह चेतावनी भी दी कि संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ पारित किया गया नागरिकता विधेयक सर्वोच्च अदालत की कसौटी पर टिक नहीं पाएगा.

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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा में विधेयक पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक न केवल असंवैधानिक है बल्कि अनैतिक है क्योंकि यह बाबा साहब आंबेडकर के संविधान की भावना के भी खिलाफ है. उन्होंने कहा कि इस विधेयक के खिलाफ उद्वेलित होना स्वाभाविक है क्योंकि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 21, 25 और 26 के खिलाफ है. सरकार या राज्य धर्म या संप्रदाय के आधार पर किसी व्यक्ति के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं कर सकते. मगर मौजूदा विधयेक धर्म के आधार पर विभेद कर रहा है क्योंकि इसमें मुस्लिम समुदाय को बाहर रखा गया है. कांग्रेस नेता ने कहा कि यह कानून पंथनिरपेक्ष नहीं है और इसीलिए संविधान की प्रस्तावना के भी खिलाफ है.

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अपने बयान में कांग्रेस नेता ने सुप्रीम कोर्ट के कई अहम फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि मानवीय आधार पर कोई भी शरणार्थी पनाह मांगता है तो धर्म के आधार पर हम उसे इन्कार नहीं कर सकते. सरकार से विधेयक की खामियों को दूर करने का अनुरोध करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस घुसपैठ के खिलाफ है. इसीलिए सरकार घुसपैठ और शरणार्थियों से जुड़ा व्यापक कानून लेकर आए मगर उनकी पार्टी धार्मिक विभेद पैदा करने वाले इस विधेयक का समर्थन नहीं कर सकती. देश के विभाजन के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराने के गृह मंत्री अमित शाह के आरोपों को भी मनीष तिवारी ने सिरे से खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि द्वि-राष्ट्र का पहली बार प्रस्ताव 1935 में ¨हदू महासभा के नेता वीर सावरकर लेकर आए थे.

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