आखिर क्या होता है इलेक्टोरल बांड, जिसको लेकर संसद में मचा हंगामा
आखिर क्या होता है इलेक्टोरल बांड, जिसको लेकर संसद में मचा हंगामा
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चुनाव से जुडी बातें तो हम सभी हको पता होती है वही चुनावी बांड को औपचारिक भ्रष्टाचार का स्रोत बताते हुए कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने संसद में हंगामा किया गया. जंहा भारतीय जनता पार्टी ने इसका पलटवार करते हुए कहा है कि विपक्षी दल इसे बेवजह का मुद्दा बना रहे हैं. 

क्या है चुनावी बांड?: मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में चुनावी बांड शुरू करने का एलान किया था. चुनावी बांड का इस्तेमाल व्यक्तियों, संस्थाओं और भारतीय और विदेशी कंपनियों द्वारा राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए किया जाता है. नकद चंदे के रूप में दो हजार से बड़ी रकम नहीं ली जाएगी है. जंहा सरकार की दलील है कि चूंकि बांड पर दानदाता का नाम नहीं होता है, और पार्टी को भी दानदाता का नाम नहीं पता होता है. सिर्फ बैंक जानता है कि किसने किसको यह चंदा दिया है. वही इसका मूल मंतव्य है कि पार्टी अपनी बैलेंसशीट में चंदे की रकम को बिना दानदाता के नाम के जाहिर कर पाएंगे. 

कौन ले सकता है?: सुत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक हम आपको बता दें कि एक हजार, दस हजार, एक लाख, दस लाख और एक करोड़ रुपये की कीमत में उपलब्ध इन बांडों को जनप्रतिनिधित्व कानून-1951 की धारा 29ए के तहत पंजीकृत वे राजनीतिक पार्टियां ही भुना सकती हैं, जो पिछले आम चुनाव या विधानसभा चुनाव में कम से कम एक फीसद वोट हासिल की होती हैं. चुनाव आयोग द्वारा सत्यापित बैंक खाते में ही इस धन को जमा किया जाएगा.

कानून मंत्रालय का सुझाव: एक रिपोर्ट  में इस बात का खुलासा हुआ है कि एक अन्य आरटीआइ द्वारा प्राप्त किए गए दस्तावेजों के मुताबिक, कानून मंत्रालय ने सुझाव दिया था कि न्यूनतम वोट शेयर की आवश्यकता या तो 6 फीसद होनी चाहिए (मान्यता प्राप्त 52 राज्य और 8 राष्ट्रीय दलों के लिए) या बिल्कुल नहीं ( वर्तमान आवश्यकता 1 फीसद है). जबकि यह स्पष्ट नहीं है कि 2,487 गैर-मान्यता प्राप्त दलों में से 1 फीसद वोट शेयर कितनों का है. कुछ लोगों ने यह भी आरोप लगाया है कि चूंकि इन बांडों को बेचने वाला भारतीय स्टेट बैंक खरीदार की पहचान जानता है, इसलिए सत्ता में सरकार आसानी से यह पता लगा सकती है कि बांड किसने और किसके लिए खरीदा है. सुप्रीम कोर्ट इन बांड की वैधता पर एक याचिका पर सुनवाई करने वाले है. 

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