भारत की केंद्र सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाने की तैयारी की है. सेना के पूर्वी कमान के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार देश में आंतरिक संघर्षो के स्थायी समाधान को इच्छुक है और वामपंथी चरमपंथियों के खिलाफ कड़ा फैसला लिया जा सकता है.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि कोलकाता में नौवें उद्योग रक्षा संबंध सम्मेलन में उन्होंने कहा कि पिछले साल वुहान शिखर सम्मेलन के बाद से भारत-चीन सीमा पर अपेक्षाकृत शांति कायम है. केंद्र सरकार नागाओं के साथ वार्ता प्रक्रिया पूरी करने को इच्छुक है और मणिपुर व अरुणाचल प्रदेश पर इसके प्रभाव का आकलन कर रही है. देश की पूर्वी सीमा पर सेना की आवश्यकताओं पर चौहान ने कहा कि हमें रात्रि स्थलों, एरियल व ग्राउंड सर्विलांस प्लेटफॉर्म्स, सड़क निर्माण और संचार उपकरणों की जरूरत है.
इस खास मौके पर आयुध निर्माणी बोर्ड (ओएफबी), कोलकाता के चेयरमैन हरि मोहन ने कहा कि ओएफबी को हाल ही में भारतीय सेना से 464टी-90 युद्धक टैंकों के लिए ऑर्डर मिला है. उन्होंने कहा कि करीब 20 हजार करोड़ रुपये के इस ऑर्डर को पूरा करने में हमें चार से पांच साल लगेंगे. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ओएफबी 165 बीएमपी बख्तरबंद वाहनों के लिए आठ से नौ हजार करोड़ के एक और ऑर्डर को प्राप्त करने की प्रक्रिया में है. भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) के रक्षा उपसमिति के अध्यक्ष एके जैन ने कहा कि देश में रक्षा निर्यात 2010 में 500 करोड़ रुपये था जो 2019 में बढ़कर 10 हजार करोड़ रुपये पर पहुंच गया. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने 2025 तक रक्षा निर्यात सालाना 35 हजार करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा है.
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