भारत में बीते कुछ सालों से मौसम को लेकर अनिश्चता देखने को मिली है. मानसून की बदलती व्यवस्था को लेकर मौसम विभाग ने नई जानकारी उपलब्ध कराई है. जिसके तहत बारिश के बदलते पैटर्न को देखते हुए इस साल से दक्षिण पश्चिम मानसून के आने और जाने की तिथियों में बदलाव करेगा. भू-विज्ञान मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी.
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इस मामले को लेकर मंत्रालय में सचिव एम. राजीवन ने कहा कि तिथियों में बदलाव से किसानों को फसलों की बुआई में मदद मिलेगी.चार महीने का बरसात का मौसम एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर को खत्म होता है.राजीवन ने कहा कि केरल में मानसून के आने की तारीख एक जून है। बहुत संभावना है कि इस तारीख में कोई बदलाव नहीं होगा. लेकिन आइएमडी कुछ राज्यों और शहरों में मानसून के पहुंचने की संदर्भ तिथियों में बदलाव करेगा.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि आइएमडी के मध्य भारत मौसम क्षेत्रों में मानसून के आने की तिथियों में बदलाव किए जाने की संभावना है. इस क्षेत्र में छत्तीसगढ़, ओडिशा, पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, कोंकण व गोवा, गुजरात क्षेत्र और कछ और सौराष्ट्र शामिल है. आइएमडी के महानिदेशक एम. महापात्रा ने कहा कि अप्रैल में जब विभाग 2020 के मौसम के बारे में पहला दीर्घ कालिक पूर्वानुमान जारी करेगा, उसी के साथ नई तिथियां घोषित किए जाने की उम्मीद है.आमतौर पर उत्तर पश्चिम भारत (राजस्थान के हिस्से) से एक सितंबर से मानसून की वापसी होने लगती है. इसको बदलकर 10 सितंबर किया जा सकता है. महापात्रा ने बताया कि अभी तक 1940 के डाटा के हिसाब से तिथियों का निर्धारण किया जाता है, जिसे अब बदले जाने की जरूरत है. क्योंकि पिछले साल 19 जुलाई तक पूरे देश में मानसून आया था. जबकि, एक सितंबर की जगह नौ अक्टूबर को उसकी वापसी हुई.
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