विपक्षी दलों को साधने में लगी कांग्रेस, निकल सकता है कर्नाटक और गोवा राजनीतिक संकट का हल
विपक्षी दलों को साधने में लगी कांग्रेस, निकल सकता है कर्नाटक और गोवा राजनीतिक संकट का हल
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बीते समय से जारी कर्नाटक और गोवा में विधायकों को तोड़े जाने की सियासी चुनौती से रूबरू हो रही अब सत्ता की ताकत और धन बल के सहारे देश की राजनीति को नियंत्रित करने के मुद्दे पर संसद में मोदी सरकार को घेरने के प्रयास में जुट गई है. कांग्रेस के नये अध्यक्ष के चुनाव की अभी तक धुंधली तस्वीर के बीच पार्टी सियासी तोड़-फोड़ के इस मुद्दे पर बहस की पेशबंदी के लिए दूसरे विपक्षी दलों से संपर्क साध रही है. खासतौर पर उन दलों को साधने का प्रयास किया जा रहा जिनके सांसदों या विधायकों को लोकसभा चुनाव के बाद तोड़कर भाजपा ने उन्हें अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है. आगे जाने पूरी रिपोर्ट 

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हाल ही में पार्टी के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विधायकों के इस्तीफे की वजह से कर्नाटक का संकट वहां की सरकार के लिए भले ही ज्यादा बड़ा दिखाई दे रहा हो मगर राजनीतिक नजरिये से गोवा का घटनाक्रम कांग्रेस के लिए ज्यादा गंभीर और चिंताजनक है. क्योंकि गोवा में गुपचुप तरीके से आपरेशन कर तीन तिहाई विधायकों को तोड़ भाजपा ने सूबे में एक तरह से कांग्रेस को खत्म करने का पूरा प्रयास किया है. इसीलिए बीते दो दिनों में संसद में पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने विपक्षी खेमे की दूसरी पार्टियों के नेताओं से भाजपा के इस प्रयास पर दोनो सदनों में साझा प्रहार करने की रणनीति पर चर्चा की है. कांग्रेस ने बीते शुक्रवार को कर्नाटक और गोवा के मुद्दे पर राज्यसभा की कार्यवाही ठप करा इसका संकेत भी दे दिया है. पार्टी ने लोकसभा में भी कार्यस्थगन प्रस्ताव लाने का प्रयास कर इस मुद्दे को उठाया मगर निचले सदन में सरकार के प्रचंड बहुमत के चलते विपक्षी दलों के लिए ज्यादा गुंजाइश नहीं है. ऐसे में सत्ता की ताकत और धन बल के सहारे देश में विपक्ष को खत्म करने के मुद्दे पर राज्यसभा में बहस की कोशिश कांग्रेस के लिए ज्यादा मुफीद है.

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इस समय संसद का सत्र को अब केवल दो हफ्ते बचा है और सरकार इस मुद्दे पर बहस के लिए राजी होगी इसकी गुंजाइश कम ही दिखती है. खासतौर पर यह देखते हुए कि चुनाव सुधारों को लेकर राज्यसभा में पिछले हफ्ते ही बहस हुई थी और उसमें दल बदल कानून को लेकर पक्ष-विपक्ष ने अपना-अपना नजरिया भी रखा था.सूत्रों के अनुसार टीडीपी और तृणमूल कांग्रेस के अलावा कुछ अन्य क्षेत्रीय पार्टियों से भी इस मसले पर संपर्क साधा गया है. आंध्रप्रदेश के विधानसभा चुनाव में चंद्रबाबू नायडु की हार के बाद भाजपा ने राज्यसभा में टीडीपी के छह में से चार सांसदों को दल बदल कराकर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया. जबकि आंध्रप्रदेश की नई विधानसभा में भाजपा का एक भी विधायक नहीं है. इसी तरह पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सियासी मुसीबतों में लगातार इजाफा कर रही भाजपा ने लोकसभा चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस के कई विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल किया है.

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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि खतरे में फंसी कर्नाटक सरकार बचाने के लिए बंगलुरू भेजे गए कांग्रेस के दो विशेष संकट मोचक रणनीतिकारों में शामिल वरिष्ठ नेता बीके हरिप्रसाद ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि भाजपा सरकार ने पहले देश को कांग्रेस मुक्त करने के लिए ताकत झोंकी. इसमें नाकाम रहने के बाद इवीएम और सांप्रदायिक उन्माद व उग्र राष्ट्रवाद की सियासत को आगे बढ़ाया. हरिप्रसाद ने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की नई सरकार अब देश को 'संविधान मुक्त' और 'विपक्ष मुक्त' करने के एजेंडे पर काम कर रही है. इसके लिए सत्ता की ताकत और धन बल समेत सारे हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

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