इटावा : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तकलीफें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं, राम मंदिर के मसले पर पार्टी से दो विरोधाभासी बयान भी सामने आए हैं, केंद्रीय राज्यमंत्री द्वारा राम मंदिर के मसले पर दिए गए बयान को भाजपा के एजेंडे से बाहर जाकर की गई बयानी के तौर पर देखा गया। इस मसले पर चुप्पी से कुछ गलत संदेश जा रहा था। मामले में पार्टी से दो विरोधाभासी बयान आने की बात भी कही गई। मामले में पार्टी की ओर से राज्यसभा सांसद विनय कटियार अयोध्या पहुंचे। सरकार के समीप राज्यसभा में पर्याप्त बहुमत नहीं मिला है दूसरी ओर सरकार इस बारे में किसी तरह का विधेयक पारित नहीं करवा सकती दूसरी ओर कटियार द्वारा कहा गया है कि मामले को पहले तो लोकसभा में लाया जाए तो दूसरी ओर राज्यसभा में रखा जा सकता है।
यही नहीं जनता को पता लगना जरूरी है कि राम मंदिर पर किए गए वादे को पूरा करने के लिए सरकार किस तरह से कार्य कर रही है। यजही नहीं इस मामले को लंबे समय तक ठंडे बस्ते में नहीं रखा जा सकता, यदि ऐसा होता है तो श्री रामभक्तों के गुस्से की सीमाऐं पार हो सकती हैं।
भाजपा के एजेंडे में राम मंदिर को शामिल नहीं किया गया लेकिन श्रद्धा और आस्था से जुड़े इस मसले पर धीरे - धीरे चर्चा की जा रही है। दोनों ही पक्षों में इस मसले पर चर्चा की जा रही है। यही नहीं मामले को लेकर भाजपा अपना रूख दोहरा रही है, संविधान के दायरे में अयोध्या और राममंदिर के निर्माण की संभावनाओं को तलाश किया जा सकता है।