मोदी ने लोक अदालतों को बढ़ावा देने पर दिया जोर
मोदी ने लोक अदालतों को बढ़ावा देने पर दिया जोर
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नई दिल्ली : श्रीनगर में बीते दिनों हुई रैली में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण के दौरान कहा था कि सबका साथ,सबका विकास उनका मुख्य मकसद है। इसी लाइन को उन्होने सोमवार को लीगल सर्विस डे कांफ्रेंस में फिर से दोहराया। बस दो शब्द और जोड़ दिए-- सबका साथ, सबका विकास, सबका न्याय। इस पब्लिक फोरम में उन्होने कहा कि मेरी कोशिश आम आदमी को लोकअदालत की ओर ले जाना है।

मोदी ने इस दौरान यह भी कहा कि एक डॉक्टर यदि माह में एक दिन मरीज का मुफ्त में इलाज करता है तो महीने के बाकी दिन उसकी वाहवाही होती है। हमारे यहां सोच में बदलाव लाना जरूरी है। कानूनी जागरुकता के साथ-साथ इंस्टिट्यूशंस को भी सजग होना चाहिए। सरकार भी इस बारे में विचार करेगी।

हमारी लॉ यूनिवर्सिटीज़ को स्टूडेंट्स को स्पेशल असाइनमेंट्स देना चाहिए। जिसके तहत वो देशभर में लोक अदालतों पर शोध कर प्राजेक्ट तैयार करें और सलाह दें। हमारे लॉ स्टूडेंट्स को पढ़ने के दौरान ही पता चलना चाहिए कि लोक अदालत क्या है। आम आदमी यही सोचता है कि वकील के चक्कर में नहीं पड़ना है।

वह सोचता है कि अन्याय बर्दाश्त है, लेकिन वकील के पास नहीं जाना। लोक अदालत ने इसी कमी को पूरा किया है। लोक अदालत में उसे लगता है कि यहां प्रक्रिया आसान है। लोक अदालत की प्रतिष्ठा है। आम आदमी का रुझान लोक अदालतों की ओर कैसे हो, यह सोचना होगा।

जब मैं गुजरात में सीएम था तो लोकअदालत में न्याय 35 पैसे में मिलता था, यह बहुत बड़ी कामयाबी थी।15 लाख से ज्यादा लोकअदालत होना, साढ़े आठ करोड़ से ज्यादा लोगों को न्याय मिलना, ये बहुत बड़ा नंबर है। इसलिए इस व्यवस्था की अपनी एक ताकत है। आज कुछ नए इनिशिएटिव लिए जा रहे हैं। अगर शासन भी न्याय के प्रति सजग हो तो नए रास्ते खुल सकते हैं।

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