नई दिल्ली : न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप में शामिल होने के लिए भारत और पाकिस्तान अपनी-अपनी ओर से हर मुमकिन कोशिश कर रहे है। चीन के अड़ियल रवैए को देखते हुए भारत ने रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से बात की है। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुतिन से फोन पर बात की।
गौरतलब है कि रुस ने न्यूक्लियर डील को लेकर यूएन सिक्युरिटी काउंसिल में भारत के रुख का सपोर्ट किया है। क्रेमलिन की ओर से जारी किए गए बयान में बताया कि मोदी ने ही पुतिन को फोन किया था। इस मामले में मोदी और पुतिन की जल्द मुलाकात होने की भी संभावना जताई जा रही है।
इस दौरान बातचीत दोनों देशों के बीच प्रैक्टिकल इश्यूज और को-ऑपरेशन पर फोकस रहेगा। लेकिन भारत की सदस्यता के विरोध में चीन ने दलील दी है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। एऩएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्दोगिकी तक पहुंच को आसान बनाता है।
इससे पहले तक कई देश भारत का इस आधार पर विरोध कर रहे थे कि परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर भारत की ओर से दस्तखत नहीं किया गया है। लेकिन अब इनमें से कई देशों ने नरमी दिखाई है, लेकिन चीन अब भी अपने रुख पर कायम है। वियाना में भी चीन ने सीधे तौर पर अड़ंगा न लगाते हुए एनपीटी के जरिए अड़ंगा डाला है।
48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं। रविवार को चीन की फॉरेन मिनिस्ट्री के स्पोक्सपर्सन होंग लेई ने रविवार को दावा किया है कि वियना मीटिंग (9 जून) में भारत की मेंबरशिप पर कोई चर्चा नहीं हुई थी।
लेई ने कहा कि एनएसजी के मेंबर्स गैर-एनपीटी देशों को इस ग्रुप में एंट्री देने के मामले में बंटे हुए हैं। इस पर अब सियोल में 24 जून को होने वाली मीटिंग में चर्चा होगी।