नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सर्वोच्च न्यायालय के एक कार्यक्रम में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने न्यायाधीशों और अन्य उपस्थितों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि तकनीक के संबंध में सरकार का जो अनुभव है। उसे मैं साझा करना चाहता हूं। सरकार और उसके तंत्र का तकनीक से संबंध हार्डवेयर तक सीमित रहा। पहले के समय टेबल पर फ्लाॅवर पाॅट रहा करता था। अब समय बदला। फ्लाॅवर पाॅट के स्थान पर बढ़िया कम्प्युटर रखा रहता है हालांकि इस कंप्युटर को अधिकारी कभी नहीं चलाता है और खोलता भी नहीं है लेकिन यह अच्छा लगता है इसलिए रखा हुआ है।
तकनीक को लेकर एक माईंड सेट है। उन्होंने भगवान बुद्ध का स्मरण करते हुए कहा कि मन बदले तो मत बदले और मत बदले तो मन्तव्य बदले। उनका कहना था कि मन बदलने से मन्तव्य बदलने की नई शुरूआत होगी। हमें तकनीक को अपने कार्य में अपनाना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम किसी को मैसेज करते हैं तो फिर उसे फोन कर पूछते हैं कि मेरा मैसेज मिला क्या। तकनीक के उपयोग को लेकर हमें सामूहिम मन बनाना पड़ता है।
जिस तरह का बदलाव है उस बदलाव के साथ खुद को जोड़ना महत्वपूर्ण है। उन्होंने जोर दिया कि इंटरनेट के माध्मय से याचिकाऐं स्वीकार करने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई है। इससे बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ होगा। उन्होंने जजेस का आभार जताते हुए कहा कि न्यायिक कार्य बढ़ने पर जजेस ने अपनी छुट्टियां कम कर दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तकनीक के साथ जुड़ने की चुनौती एक जनरेशन के सामने हैं।
उन्होंने ईगवर्नेंस को इफेक्टिव गवर्नेंस और एन्वायरमेंट गवर्नेंस को जोड़कर कहा कि इनका बड़ा महत्व हैं यदि हम एक ए 4 साईज़ कागज़ यूज़ करते हैं तो उसे बनाने में करीब 10 लीटर पानी लग जाता है यह रिसर्च कहती है। पेपर लेस पद्धती अपनाकर हम पर्यावरण के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। कम समय में ही बड़ी आसानी से हमारा कार्य हो जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इंटरनेट और सूचना तकनीक की शक्ति बढ़ती जा रही है।
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