कोलकाता : हर कामयाब शख्स के पीछे औरत का हाथ तो होता ही है लेकिन हर सफल व्यक्ति को गुर देने वाला कोई न कोई गुरू जरूर होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी कोई न कोई गुरू जरूर है। आखिर वह कौन है। जल्द ही वे दुनिया के सामने होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 मई को अपने गुरू स्वामी आत्मस्तनंद से मिलने जा रहे हैं। वेलूर मठ के प्रमुख स्वामी आत्मस्तनंद वर्ष 2013 में वेलूूर मठ गए थे। इस दौरान वे गुजरात के मुख्यमंत्री के पद पर काबिज थे।
इस बार वे देश के प्रधानमंत्री बनने के बाद उनसे मिलने जा रहे हैं। जब मोदी ने प्रधानमंत्र पद की शपथ ली थी उस समय उनके जैकेट में एक फूल था वह फूल स्वामी जी ने मोदी को प्रसाद के रूप में एक चिट्ठी के साथ भेजा था। दरअसल वर्ष 1966 में स्वामी आत्मस्तनंद जी रामकृष्ण आश्रम गए थे इस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी युवा थे और स्वामी विवेकानंद के जीवन से बहुत प्रभावित थे। ऐसे में मोदी स्वामी जी से मिलने उनके आश्रम पहुंचे थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना कुछ समय आध्यात्म को भी दिया था। भारतीय जनता पार्टी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर ग्राफिकल जीवन चित्रावली का प्रकाशन किया गया था। जिसमें बताया गया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब अपने घर का त्याग कर दिया तो उन्होंने कुछ समय हिमालय की यात्रा में बिताया और वे सन्यासी हो गए। इसके बाद उनका संपर्क रामकृष्ण आश्रम से भी हुआ। स्वामीजी ने मोदी से भेंट के बाद उनसे कहा कि वे सन्यासी तो बनना चाहते हैं मगर वे सन्यास के लिए नहीं बने हैं।
वैसे राजकोट आश्रम सन्यासी बनने की दीक्षा नहीं देता था, तब उन्हें बेलूर मठ जाने के लिए कहा गया। स्वामी जी ने बेलूर मठ के तत्कालीन मठाधीश माधवानंद को पत्र लिखकर इस बारे में अवगत करवाया। स्वामी माधवानंद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अर्जी ठुकरा दी। जिसके बाद उन्होंने कहा कि लोगों की खातिर काम करने के लिए बने हैं न कि सन्यास के लिए बने हैं। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने गुरू श्री आत्मानंद के साथ राजकोट लौट आए और आरएसएस की सदस्यता ग्रहण की।
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