नई दिल्ली : पठानकोट में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के रवैए को देखते हुए मोदी सरकार ने यह निर्णय ले सकती है कि 15 जनवरी को इस्लामाबाद में भारत-पाकिस्तान के बीच होने वाली सचिव स्तर की वार्ता को निरस्त किया जाना चाहिए। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, भारत की ओर से सौंपे गए सबूतों पर पाकिस्तान ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है, जब तक पाकिस्तान सरकार आतंकी हमले के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई नहीं करती बातचीत संभव नहीं है।
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने पठानकोट हमले में भारत द्वारा सौंपे गए सबूतों को नाकाफी बताते हुए और सबुतों की मांग की है। साथ ही जैश-ए-मोहम्मद की संलिप्तता से भी इंकार किया है। सबूत के तौर पर पाकिस्तान ने भारत से आतंकियों के बायोमैट्रिक्स यानि फिंगर प्रिंट्स, आवाज के नमूने और आतंकियों की तस्वीर की मांग की है। साथ ही भारत ने पाकिस्तान को आंतकियों के जो दो नंबर दिए थे, उस पर भी पाकिस्तान का कहना है कि वो नंबर रजिस्टर्ड नही है।
पाकिस्तान के इस हताशा भरे रवैए पर भारत ने पाक पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव बनाने का मन बनाया है। कहा जा रहा है कि भारत अब सारे सबूत इंटरपोल के जरिए ही देगा। इसका कारण है कि पाकिस्तान इसके बाद मुकर नही सकेगा।
सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार को अब भी डर है कि अगर पाकिस्तान को भरोसे में लिए बिना कोई फैसला लिया गया तो पूरी बातचीत की प्रक्रिया खत्म हो जाएगी, क्यों कि इसके बाद भी पाक आरोप लगा सकता है कि हम कार्रवाई कर रहे थे मगर भारत ने बीच में ही वार्ता तोड़ दी।