नई दिल्ली : रसोई गैस की सब्सिडी छोड़ने के बाद अब मोदी सरकार जनता से रेलवे सब्सिडी छोड़ने की भी अपील कर सकती है। इसका अर्थ आप जितना खर्च करके रेलवे में सफर करते है, उसके अलावा जो खर्च रेलवे द्वारा किया जाता है, उसे भी देने की गुहार लगाई जा सकती है। बढ़ी हुई टिकट की लंबाई में रेलवे ने यह लिखना शुरु कर दिया है कि आपसे कितनी राशि वसूली जा रही है और रेलवे कितना खर्च कर रहा है।
बता दें कि रेलवे टिकट पर कुल लागत का 57 फीसदी आपसे किराए के रुप में वसूलता है और बाकी 43 फीसदी वो खुद खर्च करता है। लोकल ट्रेनों में तो यात्रियों से 36 फीसदी ही किराया लिया जाता है, जब कि 67 फीसदी खर्च रेलवे खुद वहन करती है। इसे और गहराई से समझने के लिए रेलवे बेस फेयर के अलावा सर्विस टैक्स और खाने-पीने के लिए कैटरिंग चार्जेज लेती है, जो कि टिकट में जुड़ा हुआ होता है।
उदाहरण के लिए दिल्ली-मुबंई राजधानी एक्सप्रेस में फर्स्ट एसी का किराया हमसे 4755 रुपये लिया जाता हैं, जिसमें बेस फेयर के साथ सभी टैक्स और कैटरिंग चार्ज जुड़े हुए होते है। इसी टिकट पर रेलवे 7175 रुपये खर्च करता है और रेलवे 3085 रुपये सब्सिडी के तौर पर देती है।
इसी तरह थर्ड एसी का किराया 1628 है, लेकिन इसमें 2856 रुपए खर्च करती है। स्लीपर का किराया भी यदि 490 रुपए है, तो रेलवे को 771 रुपए का खर्च पड़ता है। यात्रियों को रेलवे की माली हालत के बारे में बताने के लिए सरकार यह पूरा लेखा-जोखा टिकटों पर प्रिंट करा रही है।