आम सहमति पर टिकी मोदी सरकार की उम्मीद
आम सहमति पर टिकी मोदी सरकार की उम्मीद
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नई दिल्ली : भूमि विधेयक को लेकर विपक्ष के भारी विरोध के कारण अब सरकार ने अपनी उम्मीदें संसद की संयुक्त समिति में आम सहमति बनने पर टिका रखी हैं. सरकार ने दावा किया है कि केवल कांग्रेस ही 2013 के विधेयक में कोई संशोधन न करने पर अडी हुई है. ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बिरेंद्र सिंह ने पत्रकारों से बातचीत में इस पर भी जोर दिया कि 2013 के कानून को व्यावहारिक बनाने के लिए इसमें संशोधन करना जरूरी थे. क्योकि तत्कालीन UPA सरकार ने 2014 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए इसे जल्दबाजी में पारित किया था.

सिंह से पूछा गया था कि एक ही मुद्दे पर एक केंद्रीय कानून होने के बावजूद उसी मुद्दे पर अलग-अलग राज्यों के विधेयकों को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी मंजूरी कैसे दे सकते हैं और क्या सरकार का विचार ‘ओवरलैपिंग’ की राह में नहीं बढ़ेगा. इस पर मंत्री सिंह ने कहा- नहीं, यह ओवरलैपिंग के बारे में नहीं है. समवर्ती सूची के दायरे में आने वाले मुद्दों पर किसी भी केंद्रीय विधेयक में राज्य कुछ सुधार ला सकते हैं.

जब सिंह से विधेयक मानसून सत्र के दौरान पारित होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह संसद की संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर निर्भर करता है. मुझे लगता है कि यह रिपोर्ट तीन अगस्त तक आएगी क्योंकि समिति को तब तक का विस्तार दिया गया है. अगर इस रिपोर्ट पर आम सहमति और एक राय होती है तो मुझे लगता है कि विधेयक पारित हो जाएगा. सिंह ने कहा- मुझे लगता है कि अन्य दलों को विधेयक में कुछ चीजों के खिलाफ भले ही कुछ आपत्तियां होंगी. लेकिन वे यह नहीं कर रहे हैं कि 2013 के कानून में कोई संशोधन न लाएं. यह सोच केवल कांग्रेस पार्टी की ही है.

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