अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है मोदी सरकार
अल्पसंख्यकों पर हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है मोदी सरकार
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लंदन : भारत सरकार अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों को रोकने में नाकाम साबित हो रही है, यह कहना है कि मानवाधिकार संगठन एचआरडब्ल्यू और एमनेस्टी का। संगठनों ने यह कहते हुए सरकार की आलोचना की है कि सरकार ने विदेशी फंडिंग को रोका है और कार्यकर्ताओं को निशाना बनाया है।

एचआरडब्ल्यू ने अपनी 659 पन्नों की रिपोर्ट में कहा है कि मोदी सरकार अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और धार्मिक अल्पसंख्यकों पर बढ़ रहे हमलों को रोकने में असफल तो है ही साथ ही सरकार ने सरकारी विकास परियोजनाओं के बड़े आलोचक सिविल सोसाइटी संगठनों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। एचआरडब्ल्यू की दक्षिणी एशिया निदेशक मीनाक्षी गांगुली का कहना है कि अधिकारियों को सहिष्णुता और शांतिपूर्ण बहस को बढ़ावा देना चाहिए।

साथ ही उनलोगों को भी अभियोजित करना चाहिए जो हिंसा को उकसाते है और उसे अंजाम देते है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में आगे कहा कि अधिकारियों ने देशद्रोह, आपराधिक मानहानि और घृणास्पद भाषण से जुड़े कानूनों का इस्तेमाल किया और अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित और अभियोजित किया। आगो उन्होने लिखा है कि एक गलत प्रवृति के तहत सत्तारुढ़ बीजेपी के नेताओं ने धार्मिक अल्पसंख्यकों में असुरक्षा की भावना पैदा की है।

बयान में 2002 में हुए हुजरात दंगों का जिक्र करते हुए लिखा गया है कि प्राधिकारियों ने तीस्ता सेतलवाड़ और जावेद आनंद जैसे कार्यकर्ताओं को गुजरात में 2002 में हुए सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों के लिए न्याय मांगने पर राष्ट्र विरोधी करार दिया। दूसरी ओर एमनेस्टी इंटरनेशनल ने मोदी सरकार पर कार्यकर्ताओं तथा विरोध करने वाले समूहों को राजनीतिक कारणों के चलते निशाना बनाने आरोप लगाया है।

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