इतिहास में कई ऐसी घटनाएं घटी है जिन्हे भुलाए भी नहीं भूल सकते है और शायद आगे भी ऐसी याद रहने वाली है. आज हम आपको ऐसी ही एक घटना के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने भारत का चेहरा ही बदल कर रख दिया था और इस घटना ने एक शासक को भारतीय इतिहास का सबसे बड़ा 'विश्वासघाती' बना दिया था. हम बात कर रहे हैं मीर जाफर की, जो 18वीं शताब्दी में बंगाल का नवाब था. वैसे तो शुरुआत में वह बंगाल के नवाब सिराजुद्दौला का सेनापति था, लेकिन बाद में उसने ऐसा धोखा दिया की जिसे शायद ही कभी देश भुला पाएगा.
बता दें की मीर जाफर को गद्दारी की सबसे बड़ी मिसाल के रूप में देखा जाता है. क्योकि वह एक ऐसा आदमी था जो दिन-रात एक ही सपना देखएक करता था और वो सपना था बंगाल का नवाब बनने का. वह प्लासी के युद्ध में अंग्रेज अफसर रॉबर्ट क्लाइव के साथ मिल गया था, क्योंकि उसने मीर जाफर को बंगाल का नवाब बनाने का लालच दे रखा था. इस घटना को भारत में ब्रिटिश राज की स्थापना की शुरुआत माना जाता है. मीर जाफर के कारण नवाब सिराजुद्दौला की जान गई थी और अंग्रजों ने अपने पैर भारत में जमाए हुए थे. पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के लागबाग इलाके में एक हवेली है, जिसे मीर जाफर की हवेली कहा जाता है. मीर जाफर की गद्दारी के कारण ही इस हवेली को 'नमक हराम ड्योढ़ी' कहा जाता है.
इसके अलावा मीर जाफर की इसी हवेली में उसके बेटे मीर मीरन ने नवाब सिराजुद्दौला को जान से मारने का हुक्म दे दिया था. जुलाई 1757 को उन्हें इसी 'नमक हराम ड्योढ़ी' में फांसी पर लटका दिया गया था और अगले दिन उनकी लाश को हाथी पर चढ़ाकर पूरे मुर्शिदाबाद में घुमाया गया था. आज यह ड्योढ़ी एक खंडहर बनकर रह गई है. यहां बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते रहते हैं और इतिहास के उन पन्नों से वाकिफ होते हैं, जिसने भारत का इतिहास बदल कर रख दिया था.
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