नागपंचमी से पहले शिव मंदिर और शिवलिंग पर लिपटा नाग, उमड़ी भारी भीड़
नागपंचमी से पहले शिव मंदिर और शिवलिंग पर लिपटा नाग, उमड़ी भारी भीड़
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वर्षा के शुरू होते ही नागों की संख्या बढ़ जाती है। विशेष तौर पर श्रावण माह में महादेव मंदिरों के आसपास अक्सर नाग अथवा सर्प दिखाई दे जाते हैं। आज ही राजस्थान के नागौर के मगरा बास मौजूद वृक्ष के नीचे बने एक छोटे शिव मंदिर के शिखर पर काले रंग का नाग बैठा नजर आया। देखते ही देखते इस नजारे को देखने के लिए भीड़ उमड़ गई। किसी ने वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। ऐसे कई मंदिर है जहां पर प्रत्येक श्रावण मास में नागदेव के दर्शन होते हैं। महादेव का नाग से जुड़ाव गहरा है।

1- मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हबीबगंज रेलवे स्टेशन पर मौजूद भवानी मंदिर के परिसर में बने एक महादेव मंदिर में श्रावण मास में कोई ना कोई नाग एक बार अवश्य आता है। अक्सर सावन सोमवार को यहां नाग देखा गया है। एमपी के बालाघाट में वारासिवनी जेल के भीतर बने मंदिर में भी इसी प्रकार की घटना होती है।

2- हाल ही में एक मंदिर में महादेव की मूर्ति पर नागदेव फन फैलाकर बैठे हुए का वीडियो वायरल हुआ था। इस वीडियो को भारतीय वन सेवा के अफसर सुशांत नंदा ने सोशल मीडिया ट्विटर पर अपने अकांउट से साझा किया था। हालांकि बाद में पता चला कि यह वीडियो 26 जुलाई 2021 का नहीं बल्कि पुराना है।

3- बीते वर्ष मध्यप्रदेश के रायसेन जिले में उदयपुरा में कृषि उपजमंडी में रामेश्वर शिवालय में कोरोना संक्रमण निवारण के लिए 2 महीने से जाप चल रहा था। तभी वहां शिवालय में एक सोमवार को 6 फिट लंबा काला सांप दिखाई दिया जो पहले नंदी से लिपटा और बाद में शिवलिंग से लिपट गया। उस वक़्त पूजा जाप चलता रहा तथा देखते ही देखते व्यक्तियों की भीड़ जमा हो गई।

4- वासुकि महादेव के परम भक्त थे। कहा जाता है कि नाग जाति के व्यक्तियों ने ही सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा का प्रचलन आरम्भ किया था। वासुकि की भक्ति से खुश होकर ही महादेव ने उन्हें अपने गणों में सम्मिलित कर लिया था। वासुकी को नागलोक का राजा माना गया है। शिवजी के गले में वासुकि नामक नाग लिपटा रहता है जो मनसादेवी का भाई है तथा मनसादेवी महादेव की मानस पुत्री हैं।

समुद्र मंथन के समय वासुकि नाग को ही रस्सी के तौर पर मेरू पर्वत के चारों और लपेटकर मंथन किया गया था, जिसके चलते उनका संपूर्ण शरीर लहूलुहान हो गया था। जब प्रभु श्री कृष्ण को कंस की जेल से चुपचाप वसुदेव उन्हें गोकुल ले जा रहे थे तब मार्ग में जोरदार वर्षा हो रही थी। इसी वर्षा तथा यमुना के उफान से वासुकी नाग ने ही श्री कृष्क्ष की रक्षा की थी. प्राप्त रिपोर्ट के मुताबिक, वासुकी ने ही कुंति पुत्र भीम को दस हजार हाथियों के बल प्राप्ति का वरदान दिया था। वासुकी के सिर पर ही नागमणि होती थी।

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