रोज सुबह करें 10 मिनिट करें यह काम, कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा
रोज सुबह करें 10 मिनिट करें यह काम, कालसर्प दोष से मिलेगा छुटकारा
Share:

आज के समय में कई लोगों कि कुंडली में कालसर्प दोष होता है। वैसे तो ऐसा माना जाता है कि इसकी पूजा करवाने से इसका अशुभ प्रभाव कम हो सकता है। हालाँकि कुछ उपाय भी किये जा सकते हैं। फिलहाल नागपंचमी (Nagpanchami 2022) आने वाली है। जी दरअसल यह एक ऐसा ही अवसर है जो कालसर्प दोष को खत्म करने के लिए उपाय करने का है। इस बार नागपंचमी 2 अगस्त, मंगलवार को है। कहा जाता है इस दिन अगर सर्प सूक्त का पाठ 108 बार किया जाए तो कालसर्प दोष (Kaal Sarp Dosh) का अशुभ प्रभाव कम हो सकता है। इसके अलावा अगर रोज सुबह इसका पाठ सिर्फ एक बार भी कर लिया जाए तो जीवन में चल रही परेशानियां कुछ कम हो सकती हैं। जानिए सर्प सूक्त और उसका अर्थ।

सर्प सूक्त (Sarp Sukt)
ब्रह्मलोके च ये सर्पा शेषनाग पुरोगमाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
विष्णु लोके च ये सर्पाः वासुकिः प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
काद्रवेयाश्च ये सर्पाः मातृभक्ति परायणाः। नमोऽस्तु तेभ्य: सर्पेभ्यः सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
इन्द्रलोके च ये सर्पाः तक्षको प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्य: सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
सत्यलोके च ये सर्पाः वासुकिना च रक्षिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्य सुप्रीता: मम सर्वदा ॥
मलये चैव ये सर्पाः कर्कोट: प्रमुखादयः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
समुद्रतीरे ये सर्पाः ये सर्पाः जलवासिनः| नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
रसातले च ये सर्पा अनन्तादि महाबलाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ||
सर्पसत्रे तु ये सर्पा आस्तिकेन च रक्षिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
धर्मलोके च ये सर्पा:वैतरण्यां समाश्रिताः। नमोऽस्तु तेभ्यःसर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
पर्वताणां च ये सर्पा दरीसन्धिषु संस्थिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्ग ये च समाश्रिताः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥
पृथिव्यां चैव ये सर्पा ये च साकेतवासिनः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताःमम सर्वदा ॥
सर्वग्रामेपु ये सर्पाः वसन्ति सर्वे स्वच्छन्दाः। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यःसुप्रीता: मम सर्वदा ॥
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पाः प्रचरन्ति च। नमोऽस्तु तेभ्यः सर्पेभ्यः सुप्रीताः मम सर्वदा ॥

अर्थात्- ब्रह्म लोक के उन सर्पों, जिनमें शेषनाग प्रमुख हैं; विष्णु लोक के उन सर्पो, जिनमें वासुकि नाग प्रमुख हैं: कद्रू के वे नाग पुत्र जो मातृ भक्त हैं; इन्द्र लोक के उन सांपों, जिनमें तक्षक प्रमुख हैं; सत्य लोक के उन सर्पों, जिनकी वासुकि नाग द्वारा रक्षा की जाती है; मलयाचल के उन सांपों, जिनमें कर्कोटक प्रमुख हैं; समुद्र के तट पर तथा जल में रहने वालों, रसातल के उन बलवान सर्पों, जिनमें अनन्त प्रमुख हैं; आस्तीक के द्वारा जनमेजय के नागयज्ञ से बचाये गये नाग-सर्पो; वैतरणी नदी में रहने वाले धर्म लोक के सर्पो: पर्वतों की दरारों में रहने वाले सर्पो; खाण्डव वन की आग में जल कर मरने से स्वर्ग लोक में गये सर्पों: पृथ्वी पर और साकेत में रहने वाले सर्पों तथा गाँवों और जंगलों में स्वतंत्रता पूर्वक रहने और विचरण करने वाले सभी सर्पों को नमस्कार है। ये सभी नाग-सर्प सदा हम पर प्रसन्न रहें॥

नाग पंचमी पर घर के बाहर लिखे इस ऋषि का नाम, देखते ही डरकर भाग जाते हैं सांप!

कालसर्प दोष है तो 2 अगस्त को करें ये 3 उपाय

1 अगस्त को है विनायक चतुर्थी व्रत, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -