न आने की आहट -गुलज़ार
न आने की आहट -गुलज़ार
Share:

न आने की आहट न जाने की टोह मिलती है 
कब आते हो कब जाते हो
इमली का ये पेड़ हवा में हिलता है तो 
ईंटों की दीवार पे परछाई का छीटा पड़ता है 
और जज़्ब हो जाता है, 
जैसे सूखी मिटटी पर कोई पानी का कतरा फेंक गया हो 
धीरे धीरे आँगन में फिर धूप सिसकती रहती है 
कब आते हो, कब जाते हो
बंद कमरे में कभी-कभी जब दीये की लौ हिल जाती है तो 
एक बड़ा सा साया मुझको घूँट घूँट पीने लगता है 
आँखें मुझसे दूर बैठकर मुझको देखती रहती है
कब आते हो कब जाते हो
दिन में कितनी-कितनी बार मुझको - तुम याद आते हो.

-गुलज़ार 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -