आज हम आपको भगवान शिव से जुड़े कुछ रहस्यमयी तथ्य बताने जा रहे है। भगवान शिव जितने रहस्यमयी हैं, उनका वस्त्र व आभूषण भी उतने ही अलग हैं।आज हम आपको भगवान शिव से जुड़ी ऐसी ही रोचक बातें के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार हैं-
1. शिव की तीन आंखें - धर्म ग्रंथों के अनुसार सभी देवताओं की दो आंखें हैं, लेकिन एकमात्र शिव ही ऐसे देवता हैं जिनकी तीन आंखें हैं। तीन आंखों वाला होने के कारण इन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहते हैं।भगवान शिव का तीसरा नेत्र आज्ञा चक्र का स्थान है। यह आज्ञा चक्र ही विवेक बुद्धि का स्रोत है। यही हमें विपरीत परिस्थिति में सही निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है।
2. भस्म क्यों लगाते हैं - हमारे धर्म शास्त्रों में जहां सभी देवी-देवताओं को वस्त्र-आभूषणों से सुसज्जित बताया गया है वहीं भगवान शंकर को सिर्फ मृग चर्म (हिरण की खाल) लपेटे और भस्म लगाए बताया गया है। भस्म शिव का प्रमुख वस्त्र भी है क्योंकि शिव का पूरा शरीर ही भस्म से ढंका रहता है। शिव का भस्म रमाने के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथा आध्यात्मिक कारण भी हैं। भस्म की एक विशेषता होती है कि यह शरीर के रोम छिद्रों को बंद कर देती है।भस्मी धारण करने वाले शिव यह संदेश भी देते हैं कि परिस्थितियों के अनुसार अपने आपको ढालना मनुष्य का सबसे बड़ा गुण है।
3. हाथ में त्रिशूल क्यों - त्रिशूल भगवान शिव का प्रमुख अस्त्र है। संसार में तीन तरह की प्रवृत्तियां होती हैं- सत, रज और तम। सत मतलब सात्विक, रज मतलब सांसारिक और तम मतलब तामसी अर्थात निशाचरी प्रवृति। हर मनुष्य में ये तीनों प्रवृत्तियां पाई जाती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि इनकी मात्रा में अंतर होता है। त्रिशूल के तीन नुकीले सिरे इन तीनों प्रवृत्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। त्रिशूल के माध्यम से भगवान शिव यह संदेश देते हैं कि इन गुणों पर हमारा पूर्ण नियंत्रण हो। यह त्रिशूल तभी उठाया जाए जब कोई मुश्किल आए। तभी इन तीन गुणों का आवश्यकतानुसार उपयोग हो।
4. क्यों हैं वाहन बैल - भगवान शंकर का वाहन नंदी यानी बैल है। बैल बहुत ही मेहनती जीव होता है। वह शक्तिशाली होने के बावजूद शांत एवं भोला होता है। साथ ही नंदी पुरुषार्थ का भी प्रतीक माना गया है। कड़ी मेहनत करने के बाद भी बैल कभी थकता नहीं है। वह लगातार अपने कर्म करते रहता है। इसका अर्थ है हमें भी सदैव अपना कर्म करते रहना चाहिए। कर्म करते रहने के कारण जिस तरह नंदी शिव को प्रिय है, उसी प्रकार हम भी भगवान शंकर की कृपा पा सकते हैं।
5. मस्तक पर चंद्रमा - भगवान शिव का एक नाम भालचंद्र भी प्रसिद्ध है। भालचंद्र का अर्थ है मस्तक पर चंद्रमा धारण करने वाला। चंद्रमा का स्वभाव शीतल होता है। चंद्रमा की किरणें भी शीतलता प्रदान करती हैं। भगवान शिव का चंद्रमा को धारण करने का अर्थ है कि मन को सदैव अपने काबू में रखना चाहिए। मन भटकेगा तो लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पाएगी। जिसने मन पर नियंत्रण कर लिया, वह अपने जीवन में कठिन से कठिन लक्ष्य भी आसानी से पा लेता हैं.