400 साल बाद इस राजघराने को श्राप से मिली मुक्ति
400 साल बाद इस राजघराने को श्राप से मिली मुक्ति
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बहुत ही लम्बे समय से मैसूर राजघराना एक श्राप के घेरे में था. लेकिन अब इस श्राप से राजघराने को मुक्ति मिल गई है. पहली बार इस वाडियार राजघराने में प्राकृतिक तरीके से किसी लड़के का जन्म हुआ है. मैसूर के 27वें राजा यदुवीर वाडियार की पत्नी तृषिका सिंह ने हाल ही में एक बच्चे को जन्म दिया है. पुरे 400 साल बाद इस राजघराने में इतनी बड़ी खुशखबरी आई है. और इस वजह से चारो ओर ख़ुशी और जश्न का माहौल बना हुआ है. डॉक्टरों से माने तो बच्चे की सेहत अच्छी है.

बता दे मैसूर के राजा यदुवीर की शादी जून में डुंगरपुर की राजकुमारी तृषिका से हुई थी. 400 सालो से इस राजघराने में दत्तक पुत्र ही राजा बनते आये है. यहाँ के राजा-रानी अब तक अपने वारिस को गोद ही लेते आये है. इतना ही नहीं इस राजघराने में अब तक किसी भी रानी ने बेटो को जन्म नहीं दिया है. लेकिन अब 400 सालो में पहली बार रानी तृषिका ने बेटे को जन्म दिया है.

बता दे भारत में मैसूर राजघराना ही इकलौता ऐसा राजघराना है जो राजशाही परंपरा को निभा रहा है. यहाँ पिछली 5 सदी यानी वर्ष 1612 से किसी भी रानी ने अपनी कोख से बेटे को जन्म नहीं दिया है. खास बात तो ये है कि राजा यदुवीर वाडियार खुद ही गोद लिए हुए है. सुनने में आया है कि ये राजघराना पिछले 400 सालो से एक श्राप के घेरे में था. ये श्राप 1612 में विजयनगर की तत्कालीन महारानी अलमेलम्मा ने दिया था. महारानी अलमेलम्मा ने नाराज होकर श्राप दिया था कि वाडियार राजवंश के राजा- रानी की गोद हमेशा सूनी रहेगी. इतना ही नहीं बल्कि ये श्राप देकर महारानी अलमेलम्मा ने कावेरी नदी में कूदकर आत्महत्या कर ली थी. तब से ही इस राजघराने में संतान के रूप में किसी भी राजा को पुत्र नहीं हुआ था.

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