म्यांमार की सीमा में घुसकर कार्रवाई करने पर बना है संशय
म्यांमार की सीमा में घुसकर कार्रवाई करने पर बना है संशय
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नई दिल्ली : भारतीय सेना द्वारा बीते समय म्यांमार की सीमा में घुसकर माओवादियों को मार गिराने का दावा संशय की स्थितियां पैदा कर रहा है। दरअसल सरकार सीधे तौर पर किसी देश की सीमा में भारतीय सेना के जवानों के दाखिल होकर कार्रवाई करने की बात को नकार रही है, वहीं सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर ने इस मामले को लेकर कहा कि भारतीय सेना ने म्यांमार की सीमा में घुसकर उग्रवादियों के कैंप ध्वस्त कर दिए थे। हालांकि जब सेना ने इन आॅपरेशनंस को अंजाम देने वाले वीर अधिकारियों और जवानों को वीरता पुरस्कार दिए तो उसमें सीमा पार जाने का उल्लेख नही था।

इससे अंदाज़ा लगाया कि ये कार्रवाईयां भारतीय सीमा में ही हुई। मिली जानकारी के अनुसार राज्य सूचना और प्रसारण मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने 9 जून को बताया कि सेना ने म्यांमार की सीमा में दाखिल होकर दो उग्रवादी कैंपों को नष्ट कर दिया। मामले में सेना के बहादुरों को वीरता पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई लेकिन इसमें यह नहीं कहा गया कि सैनिक सीमा में घुसे थे। 

दरअसल कीर्ति चक्र पाने वाले लेफ्टिनेंट कर्नल संजेनबम द्वारा जिस तरह से उग्रवादी कैंपों की रक्षा करने वाले संतरियों को मारा गया वह अदम्य साहस का परिचायक था। जिसके कारण उन्हें कीर्ति चक्र दिया गया। शौर्य चक्र से सम्मानित होने वाले हवलदार तंका कुमार लिंबु के मामले में उग्रवादी कैंपों के मुख्य हिस्से को उड़ाने से पहले क्रैक कमांडो टीम को उग्रवादियों की नज़रों से बचाने की जिम्मेदारी थी जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।

मामले में कहा गया कि भारतीय सेना द्वारा लगभग 2 दर्जन उग्रवादियों को ढेर कर दिया गया। स्वाधीनता दिवस की पूर्व संध्या पर सरकार द्वारा आॅपरेशन में शामिल 21 अर्द्धसैनिक बदलों के 8 जवानों को वीरता पुरस्कार दिए जाने की घोषणा की गई थी और उन्हें ये पुरस्कार भी दिए गए थे। 

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