मैरी प्यारी सेलरी !!!
मैरी प्यारी सेलरी !!!
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सबकी प्यारी आँखों की तारी हमारी दुलारी सेलरी, जो की हर महीने आती है और २ दिन की ख़ुशी दे जाती है. और फिर एकाएक गायब हो जाती है. लेकिन कहा ? इस बात का पता आज तक नहीं चला. खबर है इस विषय पर वैज्ञानिक शोध भी चल रहा है. और जल्द इस पर भी एक नई खोज या अविष्कार हो जायेगा।

वैसे तो 11 मुल्कों के कर्मचारी सेलरी का इंतजार कर रहे है लेकिन उसे ढूंढ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है. यह एक ऐसी संजीवनी बुटी है जो एक आम इंसान में प्राण भर दे. और एक गूंगा भी इसे देखकर बोलने लग जाये।

पर हाय रे मेरी प्यारी सेलरी तुम कहा किसी के पास रुकी हो. तुम कहा किसी के पास टिकी हो. कुछ होते है खुशनशीब जिन्हे समय पर तुम मिल जाती हो. जैसे मिल जाती है किसी को मोहब्बत बिन मांगे। पर ओ मेरी प्यारी सेलरी तुम तो हमें गुमनाम आशिको की तरह तड़पाती हो. लेकिन अब ये इंतजार में न सह पाउँगा। अब तुम्हारे बिना न रह पाउँगा।

कैसे कटे है ये दिन तड़प तड़प कर. जैसे बिन पेट्रोल चल रही हो गाड़ी। जैसे बरसात में पड़ा हो सूखा, जैसे बिन सोडा हो निब्बुपानी। क्या बताऊ कैसे कट रही है मेरी जिंदगानी। पर कब तक मुझसे रूठोगी। एक दिन तो मना लूंगा। कितनी दूर जाओगी एक दिन तो तुम्हे पा लूंगा।

रोहित त्रिपाठी

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