राधाष्टमी पर जरूर करें इन 5 मंदिरों के दर्शन

राधाष्टमी पर जरूर करें इन 5 मंदिरों के दर्शन
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भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को राधाष्टमी का पर्व मनाया जाता है, जो इस वर्ष 11 सितंबर को होगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने श्री कृष्ण का अवतार लिया, तो लक्ष्मी जी को बैकुंठ धाम खाली-खाली लगने लगा। इसके बाद, श्री कृष्ण के जन्म के 15 दिन बाद, लक्ष्मी जी ने राधा रानी के रूप में पृथ्वी पर अवतार लिया। राधा जी के जन्मदिवस को राधाष्टमी के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस खास मौके पर देशभर के विभिन्न राधा-कृष्ण मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। आइए जानें राधाष्टमी के अवसर पर कुछ प्रमुख मंदिरों के बारे में:

श्री राधा रानी मंदिर (उत्तर प्रदेश)
यह ऐतिहासिक मंदिर उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के बरसाना में स्थित है, जहां राधा जी का जन्म हुआ था। यहां राधा कृष्ण के युगल स्वरूप की पूजा की जाती है। राधाष्टमी के मौके पर इस मंदिर की विशेष रौनक देखने को मिलती है।

प्रेम मंदिर (उत्तर प्रदेश)
मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर, श्री कृष्णा और राधा जी के प्रेम को समर्पित है। इसे जगतगुरु कृपालु जी महाराज ने स्थापित किया था। राधाष्टमी और कृष्ण जन्माष्टमी पर इस मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है।

श्री राधा रमण मंदिर (उत्तर प्रदेश)
यह मंदिर भी मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित है और 16वीं शताब्दी में गोपाल भट्ट स्वामी द्वारा स्थापित किया गया था। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान यहां स्वयं प्रकट हुए थे। राधाष्टमी पर दर्शन के लिए यह एक महत्वपूर्ण स्थल है।

श्री श्री राधा गोपीनाथ मंदिर (महाराष्ट्र)
मुंबई में स्थित यह मंदिर इस्कॉन टेंपल ग्रुप का हिस्सा है और राधा रानी एवं श्री कृष्णा को समर्पित है। इस मंदिर को भव्य तरीके से सजाया जाता है और राधाष्टमी पर यहां विशेष आयोजन होते हैं।

इस्कॉन टेंपल (बंगलौर)
बेंगलुरु में स्थित इस्कॉन टेंपल आधुनिक और पारंपरिक आर्किटेक्चर का आदर्श उदाहरण है। भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी को समर्पित इस मंदिर में राधाष्टमी के अवसर पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

इन मंदिरों में राधाष्टमी के मौके पर विशेष आयोजनों और पूजा-अर्चना के अवसर पर दर्शन करने से भक्तों को अपार खुशी और पुण्य की प्राप्ति होती है।

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