style="text-align: justify;">बॉलीवुड के सुपरस्टार आमिर खान ने भारत में शक्ति संतुलन और मर्दानगी को लेकर लोगों की सोच बदलने की वकालत करते हुए कहा है. उन्होने दुष्कर्म पीडिता के प्रति समाज के नजरिये में भी बदलाव की जरूरत पर भी बल दिया है. आमिर यहां पत्रकार एवं लेखिका टीना ब्राउन और न्यूयॉर्क टाइम्स की ओर से "विश्व में महिलाएं" विषय पर आयोजित छठे वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेने आए थे. इराकी मूल की अमेरिकी समाजसेवी जैनब साल्बी से परिचर्चा के दौरान आमिर ने कहा, "दुष्कर्म भारत में एक बडा मुद्दा है. जैनब ने युद्धप्रभावित महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठन वीमेन इंटरनेशनल की स्थापना की है. आमिर ने कहा कि दुष्कर्म पीडिता से पुलिस व चिकित्साकर्मी अक्सर अच्छा बर्ताव नहीं करते हैं और उसे शीघ्र न्याय नहीं मिलता.
भारत में शक्ति संतुलन में बदलाव की जरूरत है. जब तक आरोपी की दोषसिद्धि तेज और निश्चित नहीं होगी, कुछ नहीं बदलेगा. सबसे अहम है, दुष्कर्मी से किनारा करना और पीडिता को गले लगाना. उन्होंने बच्चों खासकर लडकों को महिला-पुरूष संवेदनशीलता की सीख देने की बात की. उन्होंने कहा कि समाज को छोटे लडकों को यह समझने देना चाहिए कि रोना, डरना और अपनी भावनाएं व्यक्त करना बिल्कुल ठीक है. आमिर के मुताबिक, भारत में लोगों से बातचीत के आधार पर उनका निष्कर्ष यह है कि यहां एक असल पुरूष उसे माना जाता है जो रोये नहीं, अपनी पत्नी का हाथ नहीं पकडे और अपने बच्चों को गले नहीं लगाए. आमिर ने कहा कि इस परिभाषा के आधार पर तो मैं कतई असल पुरूष नहीं हूं. क्योकि में ये सब करता हूं.