परियडस के दौरान मुस्लिम महिलाएं नहीं रख सकती रोज़ा
परियडस के दौरान मुस्लिम महिलाएं नहीं रख सकती रोज़ा
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इन दिनों रमज़ान का पाक महीना चल रहा है. रमजान का महीना मुसलमानों के लिए सबसे ख़ास होता है और इस महीने में वह किसी भी गन्दी या बुरी आदत को अपना नहीं सकते, ना ही वह झूठ बोल सकते हैं और ना ही वह कोई गलत काम कर सकते हैं. रमज़ान के महीने में नए कपल हो या पुराने कोई भी हमबिस्तर नहीं हो सकते है हर काम के लिए एक शर्त होती है जिसे कबूल करने के बाद ही रमज़ान के महीने में व्यक्तियों के रोज़े को पाक माना जाता हैं. रमज़ान में मुसलमानो को रोज़े रखने होते हैं जिन्हे भी बहुत पाक कहा गया है.

आप सभी को एक बात ये भी बता दें कि रमज़ान के महीने में लडकियां अगर परियडस में हो तो वह रोज़ा नहीं रख सकती हैं. जी हाँ, लडकियां और महिलाएं अगर पीरियड्स में हो तो वह रोजा नहीं रख सकती और ना ही उनके लिए रमज़ान का पाक महीना अच्छा होता है. रमज़ान का पाक महीना हर मुसलमान की दुआ को कबूल करता है लेकिन अगर कोई महिला या लड़की पीरियड्स में है तो वह रमज़ान के महीने में रोज़ा नहीं रख सकती और ना ही कोई दुआ मांग सकती है.

पीरियड्स में होते हुए लड़की रमज़ान के समय घरवालों के साथ सेहरी में तो शामिल हो सकती है और इफ्तार में भी, लेकिन वह रोज़ा नहीं रख सकती क्योंकि रोज़ा मुसलमानो के लिए सबसे पाक होता है और रमज़ान का महीना भी सबसे पाक माना जाता है यहीं वजह है कि पीरियड्स के समय लडकियां और महिलाएं रोज़ा नहीं सकती हैं.

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