मुजफ्फराबाद : एक तरफ जहा देशभर में सांप्रदायिक सौहार्द पर बहस छिड़ी हुई है वही इसी बीच शुक्रवार को बेहट के हलालपुर गांव में मुस्लिम समुदाय के लोगो ने अनूठी मिसाल कयाम की है है। चुनाव दंगल में दूसरे संप्रदाय के उम्मीदवार को वोट देने के चलते दलित परिवार के मुखिया की मौत पर दाह संस्कार में हिंदू समुदाय के लोगों के शामिल होने के मना कर दिया। जिसके बाद इंसानियत की मिसाल कायम करते हुए मुस्लिम समाज के लोग आगे आए और अर्थी को कंधा देकर मुस्लिम समाज के लोगों ने पूरे हिंदू रस्म के अनुसार अंतिम संस्कार कराया। विकास खंड मुजफ्फराबाद की ग्राम पंचायत दयालपुर में सैनी बिरादरी के दीपक कुमार और मुस्लिम समुदाय की तेली बिरादरी के सईद अहमद प्रधानी चुनाव में आमने-सामने थे।
दलित रामदिया का परिवार ने चुनाव में सईद का खुलकर समर्थन किया। परिजनों ने आरोप लगाया की चुनाव के वक़्त हिंदू समाज के लोगों ने उसे सामाजिक बहिष्कार की धमकी दी थी। अगर उनके परिवार में किसी भी सदस्य की मौत होती है, तो मुस्लिम समुदाय के लोग ही उसकी अर्थी उठाकर ले जाएंगे। बृहस्पतिवार की 70 वर्षीय रात रामदिया की बीमारी के चलते मौत हो गई। परिजनों ने आरोप लगाया की हिंदू समाज के लोग सांत्वना देने उसके घर तक नही आए।
मृतक के बेटे राजेंद्र का कहना है की शुक्रवार की सुबह शव का दाह संस्कार किया जाना था जिसमे कोई भी हिन्दू शामिल नही हुआ। जब इस बात की खबर मुस्लिम समुदाय को लगी तो वह उसके घर पहुंचे। इसके बाद पिता के दाह संस्कार के लिए लकड़ी और अन्य सामान का बंदोबस्त किया गया। मुस्लिमों ने अर्थी को कंधा दिया और श्मशान ले जाकर विधिवत अंतिम संस्कार कराया