मां के इस मंदिर में बलि के बाद भी जिन्दा रहते है बकरे
मां के इस मंदिर में बलि के बाद भी जिन्दा रहते है बकरे
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नवरात्री के मौके पर आज हम आपको बताने जा रहे है माँ के एक ऐसे अनोखे मंदिर के बारे मे जहां बकरो की बलि तो दी जाती है लेकिन उनकी मौत नहीं होती. अब आप सोच रहे होंगे भला ऐसा भी हो सकता है क्या? तो जनाब जवाब है हाँ. बिहार के कैमूर जिले मे मां मुंडेश्वरी देवी का मंदिर है. यहाँ जिन बकरों की बलि दी जाती है उनकी मौत नहीं होती. भारत के प्राचीन मंदिरों मे शुमार यह मंदिर कैमूर पर्वतश्रेणी की पवरा पहाड़ी पर 608 फीट ऊंचाई पर स्थित है. कहा जाता है की यह मंदिर मां का सबसे पुराना मंदिर है.

स्थानीय लोगों के मुताबिक, इस मंदिर का खुलासा पालतू जानवरों को चराने गए कुछ गड़रियों ने किया था. यूँ तो मां के मंदिर की एक अलग ही पहचान है, लेकिन इस मंदिर मे होने वाली कुछ चीजे विश्वास के परे होने के लिए भी जानी जाती है. मंदिर के श्रद्धालुओं का मानना है कि, मंदिर मे होने वाली बकरे की बलि की प्रक्रिया बेहद अनूठी है.

यहाँ देवी सामने बकरों की बलि नहीं दी जाती, बल्कि उन्हें देवी के सामने खड़ा कर दिया जाता है जिसके बाद पुरोहित उनपर मंत्र उच्चारण के साथ चावल छिड़कते है. इस प्रक्रिया के बाद बकरा बेहोश हो जाता है और उसके होश मे आने के बाद उसे बहार छोड़ दिया जाता है. अब आप इस कहानी को जानने के बाद इस अनूठी बलि को क्या कहना चाहेंगे?

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