धर्म के अनुसार इसलिए किया जाता है शिशु का मुंडन
धर्म के अनुसार इसलिए किया जाता है शिशु का मुंडन
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बच्चे जब जन्म लेते हैं तो कई सारी चीज़ें होती हैं जो उनके जन्म के साथ ही आती हैं और उन्हें कुछ समय के साथ है दिया जाता है. खास तौर पर बात करें बालों की तो वो जन्म के साथ ही आते हैं जिन्हें हटवाना आवश्यक होता है. कहा जाता है जन्म के बाल कुछ समय के बाद कटवा देने चाहिए या मुंडन करा देना चाहिए. लेकिन ऐसा क्यों होता है इस बात की खास जानकारी किसी को नहीं होती है. वहीं शास्त्र और पुराण में इनका बखान किया गया हैं जिससे ज्ञानी लोग इस बारे में जानते हैं. अगर आप भी इस बात से अनजान है तो आइये हम आपको बता देते हैं आखिर क्यों किया जाता है बच्चों का मुंडन संस्कार.

बता दें हिन्दू धर्म में 16 संस्कार होते हैं जिनमे से 2 प्रमुख होते हैं जो बचपन और किशोरावस्था में किये जाते हैं. ये संस्कार होते हैं मुंडन संस्कार और यज्ञोपवित संस्कार जो पुरे जीवन काल में किये जाते हैं. जानते हैं ये 5 मान्यताएं-

* कहा जाता है मुंडन कराने से बच्चे का दिमाग और बुद्धि अच्छी रहती है जिसके लिए ये कराया जाता है.

* वहीं पेट के बालों का दान देने से बच्चे के पिछले जन्म के श्रापों से मुक्ति मिलती है.

* पुराने बालों का दान देकर जो नए बाल आते हैं उसे बच्चे के नए संसार में शुभ आगमन माना जाता है.

* जन्म के बाल हटवाने से बच्चे को पुराने जन्म के संस्कार से मुक्ति मिलती है.

हिन्दू धर्म में वैसे तो बच्चे का मुंडन 1 साल में किया जाता है, लेकिन कुल की परम्परा के चलते ये 3 वर्ष, 5 वर्ष या 7 वर्ष में किये जाते हैं. 

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