नई दिल्ली: सुबह हो या शाम दिल्ली के सफदरजंग रोड पर स्थित मोदी सरकार के कैबिनेट मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी के घर पर आम लोगों की भीड़ हमेशा लगती है. लोग अपनी परेशानियां लाते है और मुख्तार अब्बास नकवी उनकी समस्याओं को बेहद विन्रमता से सुनते है. ये मुख्तार अब्बास नकवी की प्रतिदिन की दिनचर्या का अंग है और ये सब आज से नहीं, बल्कि तब से है जब वो मंत्री पद पर भी नहीं थे. सादगी और सरलता से जिंदगी गुजारने वाले मुख्तार अब्बास नकवी को ऐसी कई विशेषताएं दूसरो से उन्हें अलग बनाती है.
मुख्तार अब्बास नकवी वापस एक बार मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए है. यूपी के प्रयागराज के एक सामान्य एवं संभ्रांत परिवार में पले-बढ़े मुख्तार अब्बास नकवी, कम आयु से ही सामाजिक और सियासी गतिविधियों में भाग लेने लग गए थे. आपातकाल (1975) में "लोकनायक" जयप्रकाश नारायण के "संपूर्ण क्रांति" आंदोलन में वे शामिल रहे और केवल 17 वर्ष की आयु में 'मीसा-डीआईआर' में जेल में नजरबन्द कर दिए गए.
मुख्तार अब्बास नकवी इलाहाबाद के गांव भदारी में 15 अक्टूबर 1957 को जन्मे थे. अक्सर भाजपा से दूरी बनाने वाले मुस्लिम समाज के बीच से निकलकर मुख्तार अब्बास नकवी ने भाजपा प्रत्याशी के रूप में अब तक दो विधानसभा (1991, 1993) और तीन लोकसभा (1998, 1999, 2009) का चुनाव लड़ा है. मुख्तार अब्बास नकवी 1998 में रामपुर, (उत्तर प्रदेश) से भाजपा के पहले मुस्लिम लोकसभा सांसद चुने गए थे. इसके साथ ही 2002, 2010 और 2016 में नकवी राज्यसभा सदस्य चुने गए.
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