अपनी आवाज से सभी को दीवाना बना लेने वाले मुकेश का इस वजह से हुआ निधन
अपनी आवाज से सभी को दीवाना बना लेने वाले मुकेश का इस वजह से हुआ निधन
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आज अपने दौर के मशहूर गायक मुकेश की 43वीं डेथ एनिवर्सरी है। संगीत के दीवानों के लिए मुकेश की आवाज़ किसी तोहफ़े से बिलकुल भी कम नहीं है। ‘शो मैन’ राजकपूर की आवाज बन शोहरत की ऊंचाईयां छूने वाले मुकेश आज भी अपने गाये गीतों से चाहने वाले के दिलों पर राज कर रहे है। मुकेश ने एक से बढ़कर एक हिट गीतों को अपनी सुरली आवाज दी है। ‘एक दिन बिक जाएगा माटी के मोल, जग में रह जायेंगे प्यारे तेरे बोल’ सच आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके बोल और उनकी आवाज़ आज भी लाखों, करोड़ों फैंस के होंठों पर बनी हुई है। 22 जुलाई 1923 को जन्में मुकेश का पूरा नाम मुकेशचंद्र माथुर था। उनके पिता जोरावर चंद्र माथुर पेशे से इंजिनियर रहे। मुकेश के 10 भाई-बहन थे इनमे वो 6ठे नंबर के थे। मुकेश को बचपन से ही गाने में रुचि रही। मुकेश ने 10वीं क्लास के उपरांत पढ़ाई छोड़ दी थी और PWD में नौकरी करने लग गए थे। बाद में मूवी के प्रति उनकी दीवानगी ही थी कि मोतीलाल के बुलावे पर वो मुंबई आ चुके है। यहां आकर अभिनय में असफल होने के उपरांत वो गायकी में हुनर दिखाने लग गए! मुकेश ने 1940 से 1976 के मध्य सैकड़ों मूवीज के लिए गीत भी गा चुके है। राज कपूर उन्हें अपनी आत्मा बोलते थे। 27 अगस्त 1976 को मुकेश एक शो के लिए अमेरिका गए थे, उसी दौरान वहां दिल का दौरा पड़ने से उन्होंने दुनिया को अलविदा बोल दिया।

मुकेश ने वर्ष 1951 में मूवी 'मल्हार' और 1956 में फ़िल्म 'अनुराग' का निर्माण किया था। 'अनुराग', 'माशूका' और ‘निर्दोष’ में उन्होंने बतौर हीरो एक्टिंग भी की। हालांकि प्रोड्यूसर बनना उनके लिए बुरा अनुभव रहा क्योंकि उनकी मूवीज दर्शकों पर प्रभाव डालने में सफल नहीं हो सकीं। इंडस्ट्री में मुकेश के लिए शुरुआती दौर परेशानियों से भरा था। एक्टर और निर्माता बनने की अपनी इच्छा को छोड़कर मुकेश उसके उपरांत पूरी तरह से बस गायकी ही करने लगे! उसके बाद शुरू हुआ उनका सुनहरा सफ़र।

50 के दशक से मुकेश को एक पहचान मिलना भी शुरू हो गई। उन्हें शोमैन राजकपूर की आवाज बोला जाने लग गया। बहरहाल, 70 के दशक तक मुकेश उस समय के हर बड़े स्टार की आवाज बन चुके थे। वर्ष 1970 में मुकेश को मनोज कुमार की मूवी ‘पहचान’ के गीत के लिए दूसरा फिल्मफेयर मिला और फिर 1972 में मनोज कुमार की ही फ़िल्म के गाने के लिए उन्हें तीसरी बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी दिया गया है। मुकेश तब अधिकतर कल्याण जी-आंनद जी, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल और आरडी बर्मन जैसे बड़े संगीतकारों के साथ ही कार्य किया करते थे।

वर्ष 1974 में मूवी ‘रजनीगंधा’ के गाने के लिए मुकेश को नेशनल फिल्म अवॉर्ड दिया गया। वर्ष 1976 में यश चोपड़ा की मूवी ‘कभी कभी’ के टाइटल सॉन्ग के लिए मुकेश को अपने करियर का चौथा फिल्मफेयर भी हासिल हुआ है। मुकेश की आवाज में सबसे अधिक गीत दिलीप कुमार पर फिल्माए गए। राज कपूर और मुकेश में बहुत अच्छी मित्रता थी। मुश्किल दौर में राज कपूर और मुकेश हमेशा एक-दूसरे की सहायता को तैयार रहते थे। मुकेश ने अपने करियर का आखिरी गाना अपने दोस्त राज कपूर की मूवी के लिए ही गाया था। 

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