नई दिल्ली : जहां एक तरफ सार्वजनिक स्थानो पर धूम्रपान करने पर प्रतिबंध वही संसद में स्मोकिंग एरिया बनाकर सरासर कानून का उलंघन किया जा रहा है। संसद के अंदर सांसदों के लिए एक स्मोकिंग एरिया बनाने की बात से तंबाकू विरोधी कार्यकर्ताओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं।
तंबाकू के उपभोग के खिलाफ आवाज उठाने वाले एक हेल्थ इंस्टीट्यूट ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि एंटी-टुबैको एक्ट में सार्वजनिक जगहों की परिभाषा में संसद भी आती हैं। सुमित्रा महाजन को लिखे गए पत्र में कहा गया है कि कानून की धारा 4 के अनुसार, अक्टूबर 2008 से सभी सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान करने पर प्रतिबंध है।
सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद कानून 2003 की धारा 3(1) के अनुसार, सार्वजनकि जगहों की परिभाषा सार्वजनिक जगहों पर धुम्रपान प्रतिबंध नियम 2008 की धारा 2(डी) के साथ कहती है कि कार्यस्थल पर धुम्रपान प्रतिबंधित है। इसलिए इस कानून के तहत संसद भी इस नियम के अधीन आती है।
तृणमूल के सांसद सौगत राय, भाजपा के किरण रिजिजू और सीपीएम के सीताराम येचुरी पिछले काफी लंबे समय से संसद के अंदर एक स्मोकिंग एरिया बनाए जाने की मांग करते रहे हैं। उनकी इस इच्छा को देखते हुए सेंट्रल हॉल में बने वेटिंग लॉज को अनौपचारिक रूप से सांसदों के स्मोकिंग एरिया बना दिया गया।
अब आपको बता दे की पूरा संसद नो स्मोकिंग जोन के अंतर्गत आता है और संसद पूर्ण रूप से सार्वजनिक है। ऐसे में अगर यहाँ पर स्मोकिंग एरिया है तो यह कानून की सरासर धज्जिया उडाता है। यह कानून के उस नियम का उलंघन करता है जिसमे सभी सार्वजनिक स्थानो पर धूम्रपान प्रतिबन्ध का जिक्र है।