इंदौर: महिला कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल ने जो हिम्मत दिखाई है वह अन्य ईमानदार अफसरों के लिए मिसाल है, फिर भले ही सरकार सुन्द्रियाल को हटा दे, पर सुन्द्रियाल ने जो छाप छोड़ी है, वो प्रदेश और देश की जनता के दिलों पर रहेगी. खंडवा भारत का एक मात्र ऐसा जिला बन गया है, जहाँ सरकार के आदेश के बावजूद 17 मई लॉकडाउन की अवधि तक शराब दुकानें नही खुलेंगी. कलेक्टर सुन्द्रियाल का ये आदेश पूरे देश में परिवर्तन लाने की पहल करने वाला होकर, तहलका मचा देने वाला हो सकता है. शराब दुकानों के खुलने पर, केन्द्र और राज्य सरकारों, स्थानीय प्रशासन के आदेशों, निर्देशों का पालन नही होने की स्थिति पूरे देश के राज्यों से सामने आ चुकी हैं, एक दिन में कई देशों से अधिक कोरोना पॉजिटिव भारत में सामने आ गए.
फिर भी मध्यप्रदेश में शराब और भांग की दुकानों को खोलने के लिए मंत्रालय में बैठे अफसर और नेता अपने ही आदेशों को बार-बार बदल रहे है. मध्यप्रदेश के अधिकतर जिलों में कलेक्टर और आबकारी अफसरों ने शराब और भांग की दुकानों को खोलने की तैयारी कर ली है, जिले के अफसरों की मजबूरी है कि उन्हें मंत्रालय से जारी आदेश का पालन करवाना है, इसलिए वो भी गोले बनवाने में लग गए है, अब पीने वाले इतना ही नियमों का पालन करते है तो पुलिस का काम निश्चित ही नही बढ़ना है और अगर बढ़ता है तो जिम्मेदार कौन होगा ?
जानकारी के लिए हम बता दें कि बड़ी ख़ुश खबरी और राहत वाली बात यह है कि पूरे देश और मध्यप्रदेश में सिर्फ खंडवा की महिला कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल ने व्यापक जनहित में जनता के स्वास्थ्य और जान की रक्षा के लिए वाणिज्यिक कर मंत्रालय के उस आदेश को मनाने से इंकार करते हुए जिले की शराब और भांग की दुकानें आबकारी अधिनियम और आपदा अधिनियम के तहत जन स्वास्थ्य की सुरक्षा हेतु 17 मई तक नही खोलने का आदेश 05 मई को जारी कर दिया है. आदेश की प्रति वाणिज्यिक कर मंत्रालय, आबकारी आयुक्त और इंदौर आबकारी उपायुक्त सहित दस जिम्मेदार अफसरों और लायसेंसियों को भी भेजी गई है. कलेक्टर तन्वी सुन्द्रियाल वो कलेक्टर है जो अपनी बच्ची को सरकारी आंगनवाड़ी में पढ़ने के लिए भेजती है.
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